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जाए या प्रत्येकजीवी? मूलग शब्द भी विमर्शणीय है, क्योंकि मूलग शब्द का उल्लेख अनन्तकायिक में भी है तथा औषधि और हरित वर्ग में भी है। दोनों भिन्न हैं या एक ?
आलुग शब्द का उल्लेख अनन्तकायिक वनस्पति में हुआ है किन्तु वर्तमान में जो आलू उपलब्ध है इसका मूल उत्पत्ति स्थान पेरु है। वहां इसे बताता के नाम से बोलते हैं। भारत में यह अंग्रेजों के समय आया । वे इसे पोटाटो कहते थे। भारत में आलुबुखारे के आकार का होने के कारण इसे आलू कहने लगे । चिन्तनीय बिन्दु यह है कि आगम में उल्लिखित आलू और वर्तमान में उपलब्ध आलू एक है या दो ? क्योंकि वर्तमान में जो आलू है उसके आगमन का इतिहास तो भारत के लिए प्राचीन नहीं है । आगम में उल्लिखित आलू प्राचीन है। उसका क्या रूप था ? यह चिन्तनीय है ।
इस प्रकार ग्रंथों में साधारण और प्रत्येक वनस्पति के बीच एक भेद रेखा होने पर भी वर्तमान में उसका स्पष्ट स्वरूप समझ की सीमा के परे है। प्रज्ञापना के प्रथम पद में उपलब्ध वनस्पतियों की सम्यक् अवधारणा के लिए गहरे शोध की अपेक्षा है ।
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आचार्य श्री महाप्रज्ञ की शिष्या सम्पर्कजैन विश्व भारती, लाडनूं
WWW तुलसी प्रज्ञा अंक 109
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