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सांगीतिक बनाना होगा । प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा में सप्त स्वरों की हजारों स्वरलहरियों का भण्डार भरा है । उस भण्डार में से अपनी रुचि की धुनें चुनकर अपने गीत को गाना चाहिए ।
खंड २३, अंक ३
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- डॉ. जयचन्द्र शर्मा निदेशक
श्री संगीत भारती, बीकानेर
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