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________________ पुस्तक- समीक्षा १. पियंकर कहा - लेखक : मुनिश्री विमलकुमार, प्रकाशक : जैन विश्व भारती, लाडनूं । प्रथम संस्करण : १९९७ मूल्य २० रुपये 'पियंकर कहा ' मुनिश्री विमलकुमार की प्राकृत भाषा में लिखित गद्य कृति है । इसमें राजा प्रियंकर के जीवन से सम्बन्धित विविध घटनाएं और उपसर्ग हर स्तोत्र का महात्म्य प्रतिपादित है । यह प्राकृत कथा ग्रन्थ सात उच्छ्वासों में निबद्ध है। इसमें प्रियंकर कथा के साथ अशोक सेन, पास दत्त, प्रियश्री, धनदत्त, पल्लीपति, धरणेन्द्र देव आदि की प्रासंगिक कथाएं भी हैं । घटनाओं का वर्णन कुतूहल भरा है । भविष्यवाणी, अनेक प्रकार के निमित्त, स्वप्न, हार का गले में गिरना, देव द्वारा विविध रूप धारण कर प्रियंकर की सहायता करना आदि अनेक लोक - विश्वासों का प्रसंगोचित गुम्फन हुआ है । प्रस्तुत कथा की भाषा सरल और सुबोध है। साथ में हिन्दी अनुवाद दे देने से उसकी पठनीयता बढ़ गई है। साथ ही प्राकृत शब्द सिद्धि के लिए प्राकृत व्याकरण के सूत्र दे दिए हैं और अन्त में अर्थ सहित प्राकृत शब्द सूची भी दी गई है जा प्राकृत सीखने में उपयोगी है । सर्वांश में प्राकृत भाषा की यह कृति लोक प्रिय होगी और प्राकृत भाषा प्रेमियों द्वारा मुनिश्री की दूसरी कृतियों की तरह ही पसंद की जाएगी - ऐसी पूर्णाशा है । २. स्वराज और जैन महिलाएं -लेखक : डॉ. श्रीमती ज्योति जैन, प्रकाशक : श्री कैलाशचन्द जैन स्मृति न्यास, कुन्दकुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली – २५१२०१, मूल्य : २५ रुपये आजादी की स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में प्रकाशित डॉ. ज्योति जैन की पुस्तकस्वराज और जैन महिलाएं उनके द्वारा दस वर्ष तक किए श्रम की पहली प्रतिकृति है । सूचनानुसार उन्होंने अपने पति डॉ. कर्पूरचन्द जैन के साथ मिलकर 'स्वतंत्रता संग्राम में जैन' - विषय पर गहन शोध की है और लगभग तीन हजार जैन जेल यात्री, बीस शहीद और पांच क्रांतिकारी एवं अनेकों आजाद हिन्द फौज में योगदान करने वाले जैनों की पहचान की है । प्रस्तुत कृति में डॉ. जैन ने ३८ जैन महिलाओं का परिचय दिया है जिनमें श्रीमती कमला जैन (अलवर), सरदार कुंवर लूणिया ( अजमेर) और प्रेमकुमारी विशारद ( कोटा ) के नाम भी शामिल हैं। नमक सत्याग्रह में कोतवाली पर धरणा तुलसी प्रज्ञा, लाडधूं : खण्ड २३ अंक ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524593
Book TitleTulsi Prajna 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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