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________________ श्री जिनवल्लभसूरि प्रणीत महावीर-चरित्र • जैन विश्व भारती संस्थान, मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं के हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रह-वर्द्धमान ग्रन्यालय में श्री जिनवल्लभ सूरि प्रणीत महावीर-चरित्र का हस्तलेख सुरक्षित है। यह हस्तलेख पं० अभय माणिक्य मुनि द्वारा गुजरात के वेन्नातटनगर में लिखा गया था। पांच पत्रकों पर लिखा यह हस्तलेख सुवाच्य अक्षरों में लिखा हुआ है । ४४ श्लोकों में सम्पूर्ण इस चरित्र काव्य का प्रथम श्लोक मालती छन्द में है और अन्तिम श्लोक शार्दूलविक्रीडित छन्द में है । शेष सभी गाथाएं आर्या छन्द में हैं। • मूल पाठ के साथ दूसरी कलम से गुजराती टीका लिखी है जो गाथा अनुवर्ती है। प्रस्तुत् प्रत् में लेखन-समय नहीं है और न ही गुजराती टीकाकार का नामोल्लेख है। केवल. अन्तिम पुष्पिका में प्रतिलिपिकार ने लेखन-स्थान के साथ अपना नामोल्लेख करते हुए इस महावीर-चरित्र को श्री जिनवल्लभ सूरि की कृति होना प्रमाणित किया है जो स्वयं कृतिकार ने भी काव्य के अन्तिम छन्द में-जाइज्जा जिणवल्लहो मह सया पायप्पणामो तुह-कह कर स्पष्ट कर दिया है। कवि-परिचय • श्री जिनवल्लभ सूरि गुजरात के राजा कर्ण सोलंकी के समय एक गणि के रूप में उल्लिखित हैं किन्तु सिद्धराज जयसिंह के शासन-काल में उनकी गणना प्रसिद्ध ग्रंथकारों में की गई है। शुरू में वे चैत्यवासी जिनेश्वर के शिष्य थे। उन्होंने, उन्हें पाटन के आचार्य अभय देव सूरि (सं० १०७२११३५) के यहां शास्त्राध्ययन को भेजा, जहां उन्हें श्वेतांबराचार्य भट्टारक मल्लधारी हेमचन्द्र सूरि के सान्निध्य में अध्ययन का अवसर मिला। इस अध्ययन से उनका चैत्यवास मत छूट गया और वे शास्त्रीय रीति से पुनः दीक्षित हुए। फिर उन्होंने चैत्यों में शास्त्र-विरुद्ध हो रहे कार्यों को रोकने के लिए श्लोकबद्ध रचनाएं कीं और चैत्यों में लगाई।। • कालान्तर में श्री जिनवल्लभ सूरि खरतरगच्छ के आचार्य बनें और आपने अनेकों गौत्रों का प्रवर्तन किया। कांकरिया, चोपड़ा, बड़ेर, बांठिया, ललवाणी, बरमेचा, हरकावत, मल्लावत, साहसोलंकी और सिंघी गोत्रों के प्रवर्तक श्री जिनवल्लभसूरि ही माने जाते हैं। बंड-२३, अंक-२ २५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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