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________________ हैं। एक निश्चित मात्रा में इलेक्ट्रोन के ऊर्जा प्राप्त करने (absorption) पर इलैक्ट्रोन उस ऊर्जा की मात्रा के अनुसार ही निश्चित कक्षा में जा सकता है । इसके विपरीत, यदि इलेक्ट्रोन अधिक ऊर्जा वाले स्तर से कम ऊर्जा वाले स्तर (high energy level to low energy level) में जब आता है (transition होता है) तो वह कुछ ऊर्जा का विकरण (Emission) करता है। कम ऊर्जा स्तर से अधिक ऊर्जा स्तर तथा अधिक ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रोन के आने पर क्रमश: अधिशोषण स्पैक्ट्रम (Absorption Spectrum) तथा (Emission Spectrum) प्राप्त होते हैं। इन्हें निम्न चित्र (२) a, (२) b तथा (२) 0 में दिखाया गया हैं । चित्र २(a) PROTON ELECTRON | Fig.2(a). HYDROGEN ATOM In=1 Lyman Bokmer Paschan Lyman Balmer Paschan L_Fio. 20): EMISSION SPECRTUM Fig. 20). ABSORPTION SPECTRUM चित्र २(b) __ चित्र २(c) गुणस्थानों के चढ़ने-उतरने (आरोहण-अवरोहण) के क्रम को भी एक गुणस्थान से दूसरे गुणस्थान के मध्य (transitions) के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है । जीव जब आत्मिक गुणों का विकास करता है तब कर्मों की संख्या कम होती जाती है तथा वह गुणस्थान में चढ़ता चला जाता है। और जीव जब रागादिक भावों से ग्रस्त रहता है तो कर्मों की संख्या में वृद्धि होती चली जाती है तथा जीव गुणस्थानों में गिर जाता है । उतरने-चढ़ने के इस क्रम को चित्र (३) में दिखाया गया है। यहां प्रथम गुणस्थान के दो भेद किये गये हैं-अनादि और सादि। इस प्रकार चौथे गुणस्थान (असंयत सम्यकदृष्टि) के तीन भेद दिखाये गये हैं- औपशमिक, क्षायोपशमिक तथा क्षायिक। चित्रात्मक प्रस्तुतीकरण की विशेषता गुणस्थानों के चढ़ने-उतरने के क्रम के इस प्रकार के प्रस्तुतीकरण की कई विशेषतायें २१९ तुलसी प्रशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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