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________________ गुणस्थान से गिरकर छठवें में तथा नौवें गुणस्थान से गिरकर चौथे में आता है । इसी ...] 4A 1 2 3 11 4 [21] रेखाचित्र (१)-माडिया की सांप-सीढ़ी प्रकार पहले गुणस्थान से चढ़कर तीसरे में, पांचवें गुणस्थान से चढ़कर आठवें में तथा दसवें गुणस्थान से चढ़कर बारहवें में जाता है । इस सांप-सीढ़ी में तीसरे खाने तक टेल ही लानी होती है तथा चौथे खाने में प्रवेश की अनुमति नहीं है, अत: उसे छोड़ते हुए आगे बढ़ना होता है । चौथे खाने यानी कि दूसरे गुणस्थान में जीव सातवें गुणस्थान से गिरकर ही आता है बाकी का खेल सामान्य है- यानी कि सिक्के पर हैड़ आने से जीव कहां जायेगा तथा टेल आने पर जीव कहां जायेगा, इसे इस खेल से जाना जा सकता है। यह सांप-सीढ़ी अपेक्षाकृत सरल है, फिर भी एक ही नजर में सब कुछ स्पष्ट नहीं हो पाता है । इसमें चढ़ने-उतरने के कुछ क्रम श्वेताम्बर आम्नाय के हिसाब से भी है। ऊर्जा स्तर एवं गुणस्थान गुणस्थानों को ऊर्जा स्तर के रूप में प्रदर्शित करने पर गुणस्थानों के चढ़नेउतरने के क्रम को समझने में आसानी हो सकती है। इसे समझने से पहले हमें एटम के इलैक्ट्रोन के ऊर्जा स्तरों के बारे में थोड़ा जान लेना अच्छा रहेगा। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रत्येक एटम इलैक्ट्रोन, प्रोटोन तथा न्यूट्रोन से मिलकर बना होता है । प्रोटोन तथा न्यूट्रोन नाभिक में रहते हैं तथा इलैक्ट्रोन नाभिक के चारों ओर निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं । हाइड्रोजन का एटम सबसे हल्का होता है । इसके नाभिक में मात्र एक प्रोटोन होता है, न्यूट्रोन नहीं होता है। इसके नाभिक के चारों ओर एक निश्चित व्यास की कक्षा में एक इलैक्ट्रोन चक्कर लगाता रहता है । यदि इस इलैक्ट्रोन को बाहर से कुछ ऊर्जा प्राप्त हो जाय तो इसका ऊर्जा स्तर (energy level) बढ़ जाता है । लेकिन ये ऊर्जा स्तर भी निश्चित होते खण्ड २३, अंक २ २१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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