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(६) लेश्या कोश (७) क्रिया कोश (८) योग कोश
(९) श्री भिक्षु आगम विषयक कोश । (१) आगम शब्दकोश
इसमें ग्यारह अंगों (आचारांग, सूत्रकृतांग आदि) के शब्द संगृहीत हैं। प्रत्येक शब्द का संस्कृत रूपांतरण और उसके सभी प्रमाण स्थल निर्दिष्ट है। इसमें तत्सम, तद्भव और देशी-तीनों प्रकार के शब्द हैं । ८५० पृष्ठों का यह कोश अंग आगमों में अनुसंधान करने वालों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि ग्यारह अंगों में एक शब्द कहां-कहां आया है, उसके समस्त संदर्भ-स्थल एक ही स्थान पर प्राप्त हो जाते हैं। विभिन्न आगमों के शब्द-चयन पृथक्-पृथक् मुनियों ने किये और उनका समग्रता से आकलन मुनि श्रीचन्द 'कमल' ने किया। इसका प्रकाशन वर्ष है सन् १९८० । (२) एकार्यक कोश
इसमें लगभग १०० ग्रन्थों से एकार्थक शब्दों का संग्रहण किया है। उनमें आगम तथा उनके व्याख्या ग्रंथों के साथ-साथ अंगविज्जा का भी समावेश है। इस कोश में लगभग १७०० एकार्थकों का अर्थ-निर्देश और प्रमाण दिया गया है। सारे शब्द ८००० हैं इसमें धातुओं के एकार्थक भी है। अनेक एकार्थकों के सभी शब्द देशी हैं। उनका भी संकलन किया गया है । इसका सम्पादन समणी कुसुमप्रज्ञाजी ने सन् १९८४ में किया था। (३) निरुक्तकोश
निरुक्त या निर्वचन विद्या बहुत प्राचीन है। प्रस्तुत कोश में अकारादि अनुक्रम से मूल प्राकृत शब्दों का प्राकृत या संस्कृत में निर्वचन प्रस्तुत किया गया है। इसमें मूल में १७५४ शब्दों का निर्वचन है तथा प्रथम परिशिष्ट में कृदन्त व्युत्पन्न २०८ निरुक्त और दूसरे परिशिष्ट में तीर्थंकर अभिधान निरुक्त है। इसमें ७४ ग्रन्थों का समावेश है। साध्वी सिद्धप्रज्ञा और साध्वी निर्वाणश्री ने सन् १९८४ में इसका सम्पादन किया था। (४) देशी शम्द कोश
प्रस्तुत कोश में आगम नियुक्ति, भाष्य चूणि और टीका आदि में प्रयुक्त देशी शब्दों का सप्रमाण संकलन है। इसमें दस हजार से अधिक देशी शब्द संगृहीत हैं । आचार्य हेमचन्द्र की देशीनाममाला का इसमें अविकल समावेश किया गया है । इसमें कुछ शब्द कन्नड़, तमिल, मराठी आदि भाषाओं के भी हैं। ४३९ पृष्ठों में अकारादि क्रम से देशी शब्द, उनका अर्थ, सन्दर्भ-स्थल और व्यवहति का उल्लेख है। इसमें
खंड २३, अंक २
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