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१. आगम
(१) व्यवहार भाष्य
आगमों के व्याख्याग्रंथों में 'भाष्य' का दूसरा स्थान है। नियुक्ति की रचना अत्यंत संक्षिप्त शैली में है। उसमें केवल पारिभाषिक शब्दों पर ही विवेचन या चर्चा मिलती है किन्तु भाष्य में मूल आगम तथा नियुक्ति दोनों की विस्तृत व्याख्या की गई है । वैदिक परंपरा में भाष्य लगभग गद्य में लिखा गया लेकिन जैन परंपरा में भाष्य प्रायः पद्यबद्ध मिलते हैं। जिस प्रकार नियुक्ति के रूप में मुख्यत: दस नियुक्तियों के नाम मिलते हैं वैसे ही भाष्य भी दस ग्रन्थों पर लिखे गए, ऐस उल्लेख मिलता है । वे ग्रन्थ हैं -आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, बृहत्कल्प, पंचकल्प, व्यवहार, निशीथ, जीतकल्प, ओघनियुक्ति और पिंडनियुक्ति । ___मुनि पुण्यविजयजी के अनुसार व्यवहार और निशीथ पर भी बृहद्भाष्य लिखा गया था पर वह आज अनुपलब्ध है। इनमें बृहत्कल्प, व्यवहार एवं निशीथ-इन तीन ग्रंथों के भाष्य गाथा-परिमाण में बृहद् हैं। जीतकल्प, विशेषावश्यक एवं पंचकल्प परिमाण में मध्यम, पिंडनियुक्ति, ओघनियुक्ति पर लिखे गये भाष्य ग्रंथाग्र में अल्प तथा दशवकालिक एवं उत्तराध्ययन इन दो ग्रंथों के भाष्य ग्रंथान में अल्पतम हैं।
छेदसूत्रों के भाष्यों में व्यवहारभाष्य का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रायश्चित्त निर्धारक ग्रंथ होने पर भी इसमें प्रसंगवश समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति, मनोविज्ञान आदि अनेक विषयों का विवेचन मिलता है। भाष्यकार ने व्यवहार के प्रत्येक सूत्र की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की है। बिना भाष्य के केवल व्यवहार सूत्र को पढ़कर उसके अर्थ को हृदयंगम नहीं किया जा सकता। व्यवहार भाष्य एक आकर ग्रंथ है । इसमें कुल ४६९४ गाथाएं हैं। प्रारंभ में भाष्यकार ने पीठिका लिखी है, जिसे आज की भाषा में भूमिका कह सकते हैं। इसमें कुल १८३ गाथाएं हैं। मूल ग्रन्थ दस उद्देशकों में विभक्त है। इसमें अनेक विषयों का प्रतिपादन है। समणी कुसुमप्रज्ञाजी ने इसका संपादन किया है । मूल ग्रन्थ के साथ-साथ इसमें : ३ परिशिष्ट हैं जो इसके महत्वपूर्ण तथ्यों की ओर संकेत करने वाले हैं। इन परिशिष्टों के माध्यम से शोधार्थी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। परिशिष्टों का क्रम इस प्रकार है(१) व्यवहार भाष्य गाथानुक्रम (२) नियुक्ति गाथानुक्रम (३) सूत्र से संबंधित भाष्य गाथाओं का क्रम (४) टीका एवं भाष्य की गाथाओं का समीकरण (५) एकार्थक (६) निरुक्त (७) देशी शब्द (८) कथाएं (९) परिभाषायें (१०) उपमा (११) निक्षिप्त शब्द (१२) सूक्त सुभाषित (१३) अन्य ग्रन्थों से तुलना (१४) आयुर्वेद और आरोग्य (१५) कायोत्सर्ग और ध्यान के विकीर्ण तथ्य (१६) दृष्टिवाद के विकीर्ण तथ्य (१७) विशिष्ट विद्यायें (१८) टीका में उद्धृत गाथायें (१९) विशेष नामानुक्रम (२०) वर्गीकृत विशेष नामानुक्रम (२१) टीका में संकेतित नियुक्ति स्थल (२२) टीका में उद्धृत चूणि के संकेत (२३) वर्गीकृत विषयानुक्रम । १८८
तुलसी प्रज्ञा
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