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गुजराती टीका
१. दुरित क. (कहतां) पाप तद्रूपि यउरज तिहां वायु। मोहरूप पंक० कादम
तेहनो ओघ समूह तिहां नीरसमान । प्रणाम करी तीर्थंकर महावीर प्रतइ । जीत उद्दइऽणंग क० कंदर्प्य रूप सुभट जिणइ। संसार रूप सुभट थीऊ फरावउ । ते महावीर में मोक्ष नइ साम्ह उ । चरित्रं इहां समकि तलाधा थी।
थोडं सुं कहुं मोटका २० भंव ।। मालती छंद । २. सत्य ग्रामना कण बारिया नयसार नइ भवि। समकित लही नइ रही नइ
सौधर्म देव लोकइ । चवीनई तिहाथी हुइ नइ मरीचि नामा भरतनउ पुत्र ।
पहिली लेइ पद्दइ छोडी चरित्र नउ भाव । ३. कपिल इहां पणि धर्म छइ पहवा उत्सूत्र तेहना लेस नउ परूपण । तिण की
छइ सागरोपम कोडाकोडि भव भ्रमण जिणइ । वली पहिलउ वासुदेव पोतन पुराधिप प्रजापति मृगावती पुत्र हुई नइ । त्रिपृष्ठ नामा ऋषभदेव इ कहयउं हुं तउ। ४. नरकादिक गति बइ विषय भमीनइ हुयु पश्चिम महाविदेह इ मूकानाम नगरी नइ विषय । धारिणी माता धनंजय पिता तेहनउ पुत्र। प्रियमित्र नामा
चक्रवर्ती । ५. चउरासी पूर्व लाख आउ खुं पालीनइ छइ जेहनु । दीक्षा प्रति कोडिवरससीम
पाली नइ । सातमइ देवलोक कि १७ सागरोपम आयु षउ । सरवार्थ नामइ प्रधान विमान नइ विषय । ६. तिवर पछी जंबूदीवइ भरत क्षेत्रि। भद्दा नाम राणी जितसत्तु नाम राजा
तेहनउ पुत्र। छत्रा ग्राम नो पुरी नइ विषय । हुयउ तुं नंदण नाम राजा। ७. चउबीस लाख वरस सीम। वसी नइ घर नइ विषय सद्गुरु पोट्टलाचार्य पासि । दीक्षा लेइ नइ लाख वरस सीम खपावी नइ नित्यइ मास खमणे
करी। ८. बारबार सेवीनइ बीस स्थानक । उपार्जी नइ तीर्थंकर नाम कर्म । बीस
सागरोपम नइ आयुषइ हुयउ। प्राणत नाम १० देवलोक पुप्फोत्तर नाम विमानइ। ९. छह मास आयुषइ थाकते इ थाकइ । पुण्ण नइ क्षयइ मोह प्रति पांमइ बीजा
देवता । दूकडु छइ पुण्य नउ पुंज जियानइ । तीर्थंकर देवता दीपइ । १०. ब्राह्मण कुंडग्राम नइ विषय । अपतरयउ सुदि आसाढ छठिनइ । ब्राह्मण
ऋषभदत्र नइ घरे । देवाणंदानी कुक्षि नइ विषय गर्भइ अपतरया ।
चण्ड २३, बंक २
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