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_ 'इस तथ्य की पुष्टि प्रस्तुत अंक से भी होती है । इसमें हिन्दी में १७ और अंग्रेजी में ६ लेख तथा ८ पुस्तक-पत्रिका-समीक्षाएं हैं। यों तो सभी लेख अपने-अपने विषय की स्तरीय सामग्री से संयोजित हैं तथापि कुछ विशिष्ट कहे जा सकते हैं यथा---'जैन धर्म एवं पर्यावरण', 'अनेकान्तवाद की सार्वभौमिकता', वनस्पतियों में जीवेन्द्रिय संज्ञान', 'कर्पूरमंजरी का सौन्दर्य निकष', 'रत्नावली में अलंकार-सौन्दर्य', 'The Concept of Development and Man' तथा “Army Problem in Kautilya's Arthasastra." कुल मिलाकर 'तुलसी प्रज्ञा' शोधार्थियों एवं जिज्ञासुओं के लिए एक उत्तम साहित्य सुलभ कराती है। ऐसे त्रुटिरहित सुन्दर प्रकाशन के लिए सम्पादक एवं संस्थान दोनों को बधाई।'
-डॉ० ए० एल० श्रीवास्तव
संपादक, 'पञ्चाल' पंचाल शोध संस्थान कानपुर-२०८००१
तुलसी प्रक्षा
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