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'तुलसी प्रज्ञा' के दो समीक्षण
(१)
'जैन धर्म एवं दर्शन से सम्बद्ध देश एवं विदेशों में मासिक, त्रैमासिक, पाण्मासिक एवं वार्षिक लगभग २०० पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं किन्तु शोध प्रविधि की ओर उन्मुख बहुत कम ही पत्रिकाएं दृष्टिगोचर होती हैं । जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं से प्रकाशित "तुलसी प्रजा" अनुसन्धान के क्षेत्र में सर्वोत्तम पत्रिका है जिसमें प्राच्य विद्या की विविध विधाओं को लेकर भारतीय एवं वैदेशिक विद्वानों के अमूल्य खोजपूर्ण आलेख प्रकाशित होते हैं जो शोधार्थियों के लिए ही नहीं, भारतीय विद्या में निष्णात प्रौढ़ विद्वानों के लिए भी अत्यन्त उपादेय हैं । शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे सत्प्रयासों का अभिनन्दन किया जाना चाहिए।'
-डॉ. धर्मचन्द्र जैन संपादक, 'प्राची ज्योति' (डाइजेष्ट ऑव इण्डोलोजिकल स्टडीज)
एवं
अध्यक्ष, प्राच्य विद्या विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र
'जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं अणुव्रत-अनुशास्ता श्री तुलसी द्वारा स्थापितसंचालित एक सुदृढ़, स्तरीय और शोधशील शैक्षणिक संस्था है। पर्यावरण, जीवनविज्ञान, सदाचरण और आत्मिक उत्थान जैसे सामयिक विषयों से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान धर्म, ध्यान और अणुव्रत के माध्यम से खोजने में जैन विश्वभारती संस्थान सराहनीय और अनुकरणीय भूमिका निभा रहा है। इस कार्य के दो सशक्त माध्यम हैं-एक है कक्ष में शिक्षण-प्रशिक्षण और दूसरा है अनुसंधान त्रैमासिकी पत्रिका 'तुलसी प्रज्ञा' का प्रकाशन जिसे विद्वतापूर्ण सम्पादकीय-सम्बोधनों तथा साहित्य, संस्कृति, धर्म, पुरातत्त्व आदि के साथ-साथ जीवन के विभिन्न सामयिक सरोकारों से सम्बन्धित रचनाओं ने एक उच्चस्तरीय शोध-पत्रिका के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
और इसका श्रेय निश्चित रूप से डा० परमेश्वर सोलंकी के सुचारू सम्पादन को जाता है।'
खण्ड २३, अंक १
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