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________________ सन्दर्भ: १. मनुस्मृति (धीर बुक सेल्स प्रकाशन, हरिद्वार, द्वितीय संस्करण, १९८८) १२.९ २. मिश्र, वाचस्पति, सांख्य तत्त्व कौमुदी (प्रथम संस्करण, बम्बई, १९४०) पृष्ट ३५. ४२ ३. तर्कालङ्कार, श्रीजयकृष्ण, सारमञ्जरी (द्वितीय संस्करण, कलकत्ता, १९३५) पृष्ट ६८ ४. मनुस्मृति, ५.३९-४४ ५. वही, ५.३१-३८ ६. सारमञ्जरी, पृष्ठ ६८ ७ मनुस्मृति, ११.५९-६६ ८. सारमञ्जरी, पृष्ठ ६८-६९ ९. वही, पृष्ठ ६९-७० १०. सांख्यतत्त्वकोमुदी, पृष्ठ ४२-४६ ११. तत्त्वार्थसूत्र, १.१ १२. माधवाचार्य, सर्वदर्शन संग्रह, आर्हत दर्शन (चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी, १९८४) पृष्ठ ११७-१८ १३. वही, पृष्ठ ११९ १४. वही, पृष्ठ १२१ १५. स्थविर, आचारङ्गसूत्र, द्वितीय श्रुतस्कन्ध : आचारचूला, ईर्या : तृतीय अध्ययन, तृतीय उद्देशक (श्री आगम प्रकाशन समिति ब्यावर, राजस्थान, १९८०) सूत्र ७६६, पृष्ठ ३८९ १६. वही, पंद्रहवां अध्ययन, सूत्र ७६८ १७. सर्वदर्शनसंग्रह, पृष्ठ १२२ १८ आचाराङ्गसूत्र, सूत्र ५१०,पृष्ठ २०२ १९. वही, सूत्र ५१९, पृष्ठ २०६ २०. वही, सूत्र ५१८, पृष्ठ २०६ २१. श्रीमद्भगवद्गीता (गीता प्रेस, गोरखपुर, विक्रम संवत् २०४०) १२.१५ २२. वही, १७.१७ २३. वही, १८.२८ २४. वही, ५.१८ २५. वही, ५.२५ २६. वही, ६.३२ २७. वही, ७.११ २८. वही, ९.८ खंड २२, अंक २ १८९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524589
Book TitleTulsi Prajna 1996 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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