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________________ २०८. गार्ड की मोत आवे तो गांव कानी भजै । २०९. गादड के मूंडै न्याय । २१०. गावणू अर रोवणूं सैने आवे हैं । २११ गीत में गाण जोगो ना रोज में रोवण जोगो ना । २१२. गुड घालै जितणो ही मीठो । २१३. गुड डलियां घी आंगलियां । २१४. गुड तो अंधेरे में बी मीठी । २१५. गुड देतां मरे बीने और क्यूं देणूं । २१६. गुण बिना किसी चोथ । २१७. गुलगुला भाव पण तेल कठा सूं ल्यांबू | २१८. गोरी में गुण होयो तो ढोलो आप ही आमिलेगो' २१९. गोले को गुरु जूत । घ २२०. घडी को ठिकाणो नहीं नाम अमरचन्द । २२१. घणा बूठां कण हाण । २२२. घणा मीठा में कीडा पडे । २२३. घणा हेत टूटणा का बडा नेण फूटण का । २२४. घणी तीन पांच आछी कोनी | २२५. घणी सराही खीचडी दांतां के चि । २२६. घणी सूधी छिपकली चुगर जिनावर खाय । २२७. घणूं खाय ज्यूं घणूं मरं । २२८. घणूं बल भरयां काली कामल कुत्ता घणा दे कुण आवे चार घूंडी पडे २२९. घर का टाबर खीर खाय, देवता भलो मान । २३०. घर की खांड किरकिरी गुड चोरी को मीठो । २३१. घर को देव रु घर पुजारा । २३२. घर घर मांटी का चूला । २३३. घर जाये का दिन गिणूं के दांत । २३४. घरै घाणी तेली लूखो क्यूं खावं । २३५. धूरी में गादडो ई सेर । २३६. घूंस चालती तो बाणियो धरम राज ने भी घूंस दे देतो २३७. घूमटा से सती नहीं मुडाया से जती नहीं । २३८. घोडो चाये निकासी ने, बावड तो सो आएं। २३९. घोडो मर्द मकोडो पकडां पाछै छोडे थोडो । च २४०. चक्क खरबूजे पर पड़े तो खरबुजे को नास खरबुजो चक्कू पर पडे तो ही खरबूजे का नाश । २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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