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________________ १७५. के हंसा मोती चूगै के लंघन कर ज्याय । १७६. कोई को हाथ चाल कोई की जीभ चाले। १७७. कोयला की दलाली में काला हाथ । १७८. क्यूं आंधो नूतै क्यूं दो जिमावै । १७९. खल गुड एक भाव । १८०. खांड गली का सै सिरी रोग गली का कोई नहीं। १८१. खाज पर आंगली सीधी जाय । १८२. खाबो खीर को बाबो तीर को। १८३. खागो सीरा को और मिलणो बीरा को । १८४. खाली लल्लोई सीखो है ददो नी सीखो। १८५. खुले किंवाड पोल घसे। १८६. खेत नै खोवे गेली मोडा ने खोवे चेली। १८७. खोटो पीसो खोटो बेटो ओडी वर को माल । १८८. खोयो ऊंट घडा मैं ढूंढ़े। १८९. गंजो नाई को के धरावं । १९०. गंडक न देखकर गंडक रोग। १९१. गट मण मण माला फैरे तिलक कर सिद्धा का ऐ चोरी छिप कर सीटा तोडे नीचे खोज गधा का। १९२. गढ़ फेरी अर के हरी सगो जवाई धी इतना तो अलगा भला जद सुख पावे जी। १९३. गधा ने घी दियो तो के आंख फोडे है। १९४. गधा नै नुहाया थोडो थोडो ई हो जाय । १९५. गधेडो कुरडी पर रंज। १९६. गधे में ज्ञान नहीं मूसल के म्यान नहीं। १९७. गरु की चोट विद्या की पोट । १९८. गांव गयो सूत्यो जागे। १९९. गांव बलै डूम त्यूवारी मांगे । २००. गांव बसायो बाणियो पार पडै जद जाणियो। २०१. गाजर की पूगी बाजी तो बाजी नहीं तो तोड खाई । २०२. गाडा को फाचरो र लुगाई रो चाचरो कूटोडो ही आछो । २०३. गाडा टलो हाडा नहीं ठले। २०४. गाडा में छाजला को के भार । २०५. गाडिये लुहार को कुण सो गांव । २०६. गाडी सै र लाडी से बचकर रेणु । २०७. गादड मारी पालकी मैं धडूक्या हालसी । खण्ड २२, अंक २ २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524588
Book TitleTulsi Prajna 1996 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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