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________________ २२. देवराज के पुत्र सुजादेव के दसवें वंशज देवा अजमेर के पास भिणाय में आ बसे (ओझा कृत राजपूताने का इतिहास, प्रथम जिल्द, भाग १ पृ० २२७) इसके पुत्र भोजराज सिरोही के लास (लाछ) गांव चले गये। देवराज या देपा, जिसकी पहचान हम भीमदेव (प्रथम) के पौत्र देवप्रसाद से करना चाहेंगे, जिसका पिता सूजा देव अथवा क्षेमराज था (ऊपर नाम उलट-पलट दिये हैं) का दसवा वंशज देवा होना ठीक जान पड़ता है। इस प्रकार भोज, देपा का पुत्र न होकर उसके कुल में होने के अर्थ में, देपावत है और ऐसा ही समझा जाना चाहिए । २३. मुंहता नैणसीरी ख्यात, भाग १ पृ० २८४ २४. क्षत्रिय राजवंश, भाग ३ पृ० ३० २५. ओझा कृत उदयपुर राज्य का इतिहास, भाग १ पृ० ३९८-९९ २६. शर्मा, डॉ० जी० एन०, राजस्थान के इतिहास के स्रोत (१९८३ ई०) पृ० १३०-१३१ २७. ओझा कृत सिरोही का इतिहास, पृ० १९९-२०० २८. शर्मा कृत राजस्थान के इतिहास के स्रोत, पृ० १२३-१२४ २९. ओझा कृत उदयपुर राज्य का इतिहास, पहली जिल्द, पृ० ४८९-९० ३०. बही, दूसरी जिल्द, पृ० ५४० ३१. सोमानी, राम वल्लभ, हिस्ट्री ऑफ मेवाड़, अजन्ता प्रेस, जयपुर (१९६७ ई०) पृ० २८६ ३२. ओझा कृत उदयपुर राज्य का इतिहास, दूसरी जिल्द, पृ० ६१२ ३३. वही, दूसरी जिल्द, पृ० ९७५ माखेड़ी भी मेवाड़ में सोलंकियों का एक ठिकाना है। --पोस्ट चीतलवाना पिन-३४३०४१ जिला जालोर (राज.) खण्ड २१. अंक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524587
Book TitleTulsi Prajna 1996 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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