SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एलोरा की जैनमूर्तियों का शिल्पशास्त्रीय वैशिष्ट्य आनन्दप्रकाश श्रीवास्तव राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक एलोरा महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित है। एलोरा के एक विश्वप्रसिद्ध कलाकेन्द्र के रूप में विकसित होने की पृष्ठभूमि में शासकीय समर्थन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां कलचुरि, वाकाटक, चालुक्य, राष्ट्रकूट एवं देवगिरि के यादवों के संरक्षण में छठी से तेरहवी शती ई० के मध्य कुल ३४ गुफाएं उत्कीर्ण हुईं, जिनमें राष्ट्रकूटों के समय ( सातवीं से दसवीं शती ई०) का निर्माण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। सभी प्रमुख भारतीय धर्मो ( ब्राह्मण - बौद्ध-जैन ) की यह कला-त्रिवेणी बहुत अनोखी उतरी है। बौद्धधर्म की गुफाओं ( संख्या १ से १२) के साथ सटी ब्राह्मणधर्म की गुफाएं ( संख्या १३ से २९) और उसके बाद जैनधर्म की गुफाएं (संख्या ३० से ३४ ) हैं । इनके एक साथ होने के को यहां तुलनात्मक विवेचन का स्पष्ट आधार मिल जाता है।" कारण दर्शकों एवं शोध प्रज्ञों जैन गुफाओं (गुफा क्रम संख्या ३० से ३४ ) एवं मूर्तियों का निर्माण तथा चित्रां ये कलावशेष दिगंबर- परम्परा ३० ), इन्द्रसभा ( गुफा संख्या मूर्तिशिल्प की दृष्टि से सर्वा कन मुख्यतः ९वीं से ११वीं शती ई० के मध्य हुआ है । से संबद्ध हैं । जैन गुफाओं में छोटा कैलास ( गुफा संख्या ३२) व जगन्नाथ - सभा ( गुफा संख्या ३३) स्थापत्य और धिक महत्त्वपूर्ण हैं | इन्द्रसभा के ऊपरी तल में इन्द्र तथा अम्बिका की भव्य प्रतिमा बरबस आकृष्ट करती हैं। इसके अतिरिक्त पार्श्वनाथ, बाहुबली, महावीर आदि जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं उत्कृष्ट हैं। यहां का जैन भित्तिचित्र, भित्ति चित्रकला के इतिहास में एक अनमोल कड़ी है। एलोरा के जैन मन्दिर इन्द्रसभा में नवीं और दसवीं शती ई० में तीर्थंकर मूर्तियों को बनवाने वाले सोहिल ब्रह्मचारी और नागवर्मा के नाम भी अंकित हैं । एलोरा की जंन गुफाओं में जैनों के सर्वोच्च आराध्यदेव तीर्थकरों (या जिनों) का अंकन हुआ है । २४ जिनों में से आदिनाथ ( प्रथम ), शांतिनाथ ( १६वें), पार्श्वनाथ ( २३वें) एवं महावीर (२४वें) की सर्वाधिक मूर्तियां हैं । साथ ही ऋषभनाथ के पुत्र बाहुबली गोम्मटेश्वर यक्ष और यक्षियों की भी पर्याप्त आकृतियां हैं। यहां उल्लेखनीय है कि दक्षिण भारत में गोम्मटेश्वर की मूर्तियां विशेष लोकप्रिय थीं और एलोरा में उनकी सर्वाधिक मूर्तियां बनीं। एलोरा में बाहुबली की कुल १७ मूर्तियां हैं! किसी भी पुरास्थल पर पायी जाने वाली मूर्तियों की संख्या की दृष्टि से ये सर्वाधिक हैं । २४ तीर्थंकरों का सामूहिक अंकन भी उत्कीर्ण है । जिनों में सात सर्पफणों के छत्र वाले पार्श्वनाथ की मूनियां सर्वाधिक लोकप्रिय थीं । एलोरा की जैन मूर्तियों में --- खण्ड २२, अंक ४ २८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524586
Book TitleTulsi Prajna 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy