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________________ ४४४४४=६४ ७४७४७-३४३ oXoXoco कुलयोग ४०७ (२) प्रश्न-किसी एक ही अंक को पांच बार लिखें ताकि कुल योग १०० ही हो । संख्या ५ बार ही आनी चाहिए कम या अधिक बार नहीं। पहला उदाहरण-३३४३+३=१०० दूसरा " -५४५४५--(५४५)=१०० तीसरा " -(५+५+५+५)=२०४५=१०० प्रश्न-एक ही अंक का चार बार प्रयोग करो। उत्तर १०० आना चाहिए । जैसे उत्तर-९९+ १०० इसी प्रकार एक ही अंक का पांच बार, छः बार, सात बार, आठ बार, नव बार और दस बार प्रयोग हो सकता है। (३) प्रश्न-९,८,७,६,५,४,३,२,१,० इन दस अंकों का एक-एक बार प्रयोग हो और उत्तर १ आवे । जैसे ४+ ३+१=१ (४) प्रश्न-९,८,७,६,५,४,३,२,१,० इन दस अंकों को एक-एक बार प्रयोग करें और उत्तर १०० लाएं। उत्तर-१+२+३+४+५+६+७+(८४९)= १०० (२) ७०+२४६+५=१०० (५) प्रश्न-गुण्य गुणक और गुणनफल में १ से लेकर ९ तक की सभी संख्याएं आनी चाहिए किन्तु एक संख्या दो बार नहीं आनी चाहिए। इस प्रश्न के उत्तर में ९ उत्तर हैं। (१) १२४४८३=५७९६ (२) ४२४१३८-५७९६ (३) १८४२८७=५३४६ (४) २७४१९८=५३४६ (५) ३९x१८६७२५४ (६) ४८४१५९-७६३२ (७) २८४१५७=४३९६ (८) ४४१७३८-६९५२ (९) ४४१९६३=७८५२ (६) कुछ संख्याएं ऐसी हैं जो गुणा करने पर वही संख्या उल्टे क्रम से आती १०८९४९-९८०१ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524586
Book TitleTulsi Prajna 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size10 MB
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