SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिंदी ... गुरु के पास में जो स्वयं के लिए आखड़ी (प्रतिज्ञा) ली है उस व्रत नियम को दृढ़ता से पालना। उनको खंडित मत करना । प्रत्याख्यान रूपी पोल (दरवाजे) को दृढ़ रखना । प्रतपाद्य -- अतिक्रम-दोष सेवन के लिए मानसिक संकल्प किया हो। व्यक्तिक्रम --- दोष सेवन के लिए प्रस्थान किया हो। अतिचार-दोष सेवन के लिए तत्परता की हो, सामग्री जुटा ली हो। अनाचार-दोष का सेवन किया हो। प्रत्याख्यान भंग न हो इसलिए ऊपर वर्णित चारों से दूर रहे। ठ-ठठा ठेवर गाडूओ मूल-वली तू भागा घडा नी परे थाइस मा। गुरुदत्त सुती सिख्या हिरदे रूप घट ने वीषे संग्र कर राखजे ।।२७।। हिंदी-तू फूटे घड़े की तरह मत होना। गुरु द्वारा दी गई शिक्षा को सुनकर हृदय रूपी घट में संग्रह कर राखना । प्रतिपाद्य-- कुंभ चार प्रकार के होते हैं(१) भिन्न----फूटा हुआ। (२) जर्जरित-पुराना। (३) परिश्रावी- झरने वाले । (४) अपरिश्रावी-नहीं झरने वाले । प्रथम प्रकार का कुंभ न होकर चतुर्थ प्रकार का कुंभ होना । ड-उडा डांमर गांटे ए मूल-तूं वार्य आडवर कर कर्मी नी गांठ वाधीस मा ।।२८॥ हिंदी--तू वार्य (परिहार्य प्रवृत्ति) कर कर्मों की गांठ मत बांधना । प्रतिपाद्य--अनर्थ दंड हिंसा का त्याग करना। वह चार प्रकार का है(१) अपध्यान चरित- आर्त, रौद्र ध्यान की वृद्धि करने वाला आचरण । (२) प्रमादाचरित ---प्रमाद की वृद्धि करने वाला आचरण । (३) हिंस्र प्रदान - हिंसाकारी अस्त्र-शस्त्र देना । (४) पापकर्मोपदेश -... हत्या, चोरी, डाका, द्यूत आदि का प्रशिक्षण देना । ढ --- ढढा सुणो पूछ लो मूल-तू स्वान ना पूछ नी परे वक्र स्वभाव राखिस मा। सरल स्वभाव राखजे ॥२९॥ ___ हिंदी--तू कुत्ते की पूंछ की तरह वक्र स्वभाव मत रखना। सरल स्वभाव रखना। प्रतिपाद्य --पुरुष चार प्रकार के होते हैं(१) ऋजु ऋजु-कुछ पुरुष शरीर की चेष्टा से भी ऋजु होते हैं और प्रकृति __ से भी ऋजु होते हैं। ३०६ • तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524585
Book TitleTulsi Prajna 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy