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________________ १८. चलनिका-यह घुटनों तक आता है, बिना सिला हुआ होता है । १९. अभितर नियंसिणी—यह आधी जंघों तक रहता है। २०. बहिनियंसिणी २१. कंचुकी २२. उक्क:च्छिय २३. नेकच्छिय २४. सिंघाटी-ये चार होती है। २५. खंधकरणी रूपवती साध्वियों को कुब्जा जैसी दिखाने के लिये काम में . लाया जाता है। जिन-कल्प स्थविर-कल्प और साध्वियों के उपधियों को जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट नाम से तीन-तीन हिस्सों में विभक्त किया जाता है। (नि० गा० ६७२-७९) इससे अधिक जो उपधि रखे जाते हैं वे सब औपग्रहिक होते हैं । (अ ओ उङ्ग उवग्गहो गा ६७२) उपधि उपग्रह, संग्रह, प्रग्रह, अवग्रह, भण्डक, उपकरण और करण ये सब पर्यायवाची हैं। __यहां पत्र संबंधी सात उपकरणों का उल्लेख हुआ है। (पात्र)-ग्लान बाल, वृद्ध, शैक्ष अतिथि गुरु और असहिष्णु को भोजन लाकर देने के लिए तथा जीवन रक्षा के लिए पात्र रखे जाते हैं । पात्र को बांधने के लिए पात्र बन्ध उसे रज आदि से बचाने के लिए पात्र स्थापन रखा जाता है ।" पात्र केसरिका का अर्थ वस्त्र की मुख-वस्त्रिका है इससे पात्र की प्रति लेखना की जाती है ।१४ मोचरी के समय स्कन्ध और पात्र को ढांकने के लिए पुष्प, फल रज, रेणु आदि से बचाव करने के लिए पटल रखा जाता है ।" तथा शकुन पुरीष, लिंग संवरणादि के लिए भी पटल का प्रयोग किया जाता है। चूहों तथा अन्य जीवों व बरसात के पानी आदि से बचाव के लिए रहस्त्राण रखा जाता है। पटलों का प्रमार्जन करने के लिए गोच्छग होता है। इनमें पात्र स्थापन और गोच्छग ऊन के तथा मुख-वस्त्रिका कपास की होती है। इन्हें पात्र निर्योग (पात्र-परिकर) कहा जाता है । वैयावत्य करने वाले मुनि के लिए एक नन्दी पात्र का विशेष विधान है । प्रमाणपात्रों से अधिक रखा जा सकता है । सेवार्थी वृहतपात्र से एक साथ ही बहुत से साधुओं को परिपुष्ट कर देता है। कुछ भोपग्रहिक उपधियों का वर्णन इस प्रकार है ---(१) दण्ड, (२) यष्टि, (३) चर्म, (४) चर्म-कोश, (५) चर्म-च्छेद, (६) योग पट्टक, (७) चिलमिली और (८) उपानह ।" __ वृहत्कल्प भाष्य (३८१७-८१९) में निम्नलिखित उपकरणों का उल्लेख है १. तलिका–(जूते) २४८ तुलसी प्रशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524585
Book TitleTulsi Prajna 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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