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है या आयु बराबर होती है तो स्त्री शरीर से जल्दी क्षीण हो जाती है और पुरुष देर से । परिणाम यह होता है कि सोचने-विचारने में फर्क पड़ जाता है। मनोवैज्ञानिक दष्टिकोण से आयु-अन्तर एक गंभीर समस्या है । इस पर यदि ध्यान नहीं दिया जाता है तो दाम्पत्य-जीवन में दो में से किसी एक में तनाव, दबाव और कुण्ठाएं उत्पन्न हो जाती हैं । धीरे-धीरे एक-दूसरे के मन दुःखी रहते है। चाहे कह कुछ न सकें किन्तु महसूस अवश्य करते हैं। जो वास्तविकता है वह कहीं न कही खरोंचती रहती है । यह बहुत आवश्यक है कि दाम्पत्य जीवन में दोनों ही साथ-साथ जुड़े हों, दोनों की विचारधाराएं, सोचने-समझने का स्टेण्डर्ड लगभग कुछ आगे-पीछे एक स्तर पर हो। आयु मन और शरीर दोनों को प्रभावित करती है, मन और शरीर की क्षमता से प्रेरणाएं नियन्त्रित होती है और जब ये प्रेरणाएं पति-पत्नी में भिन्न होती हैं तो मानसिक उत्पात का श्रीगणेश हो जाता है और दाम्पत्य जीवन का सुख बहुत कहीं दूर चला जाता है।
__ मैं ऐसे बहत-से पुरुषों को जानता हूं जो धनवान हैं और अपने व्यवसाय में सफल एवं जाने-माने लोग गिने जाते हैं, किन्तु दाम्पत्य जीवन में दुखी है। वह इस को किसी से कहते नहीं हैं केवल उससे पीड़ित रहते है और इस पीड़ा से बचने के लिये वे या तो कुछ व्यसनों में लग जाते हैं या फिर अथक परिश्रम करते रहते हैं और धनार्जन हेतु अपने तथा पत्नी के स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं करते हैं। इसके पीछे ऐसा कौन-सा कारण है कि पुरुष दाम्पत्य जीवन के सुख को केवल गृहस्थी का पालनपोषण मान बैठता है और इसके लिए धनार्जन ही उसका उद्देश्य रह जाता है । क्या इस स्थिति को आर्थिक पागलपन नहीं कहेंगे । गरीवी की पीड़ा या धन की लिप्सा, आर्थिक संकट या दूसरे के समान आर्थिक स्तर पर संपन्न बनने की लालसा दाम्पत्यजीवन के महत्त्व से बहुत दूर हटा देती है । इसी प्रकार विवाह करने से पूर्व मातापिता को यह बात अच्छी प्रकार समझ लेनी चाहिये कि हम जिस परिवार में रिश्ता करने जा रहे हैं वह आर्थिक-स्तर पर लगभग हमारे समान ही हो। जहां एक पार्टी धनवान और दूसरी गरीब होती है या एक पार्टी अत्यधिक धनवान और दूसरे मध्यम वर्ग के है तो इस प्रकार के संबंध में दाम्पत्य जीवन क्लेशपूर्ण बन जाता है । मैं एक ऐसे पूंजीपति को जानता हूं जिसने अपने संबधियों को नीचा दिखाने के लिये तथा समाज में और अधिक प्रतिष्ठित बनने के लिये अपनी मामूली आकर्षण वाली एम० ए० पास पुत्री का विवाह एक आई० ए० एस० अफसर से किया। लाखों की शादी करने के बाद भी लगभग दो वर्ष में सब कुछ टूट गया। यह क्या है ? केवल अनमेल रिश्ता । चूंकि लड़की के पिता ने समाज में प्रतिष्ठित बनने के लिये और आई० ए० एस० अफसर ने लालच में सम्बन्ध जोड़े, इसलिये बात बिगड़ गई। यह बात निश्चित है कि दाम्पत्य जीवन का सुख आर्थिक समान-स्तर में निहित होता है।
इस संदर्भ में शिक्षा का भी अपना एक महत्त्व है । दाम्पत्य जीवन में समायोजन और सुख के लिये यह आवश्यक है कि लड़के-लड़की की शिक्षा का स्तर लगभग समान हो । विशेषकर उन स्थितियों में यह बात और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है
खण्ड २१, अंक २
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