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________________ अमे जमा वा त्रिपद सुत्त, पदांत चप नौं जान । जम पर छतं नम हुदै, विकल्प करि पहिछांन ॥३॥ षट् मम षड्मम षण्ममः, वाक् मात्र नौं जोय । बाङ मात्र अरु वाग्मात्र, विकल्प करि इम होय ॥४॥ त्रिपद चपाच्छः सः कह्यौ, चप ते उत्तर शकार । छकार ह्र विकल्प करी, अब पर छतै सुधार ॥५॥ वाक् शूर ए रूप नौं वाक् छर वा होय । एक ठौड रहै मूलगी, वाक् शूर अवलोय ॥६॥ हो समापद दोय यह, चप तै उत्तर हकार । झभ होवै विकल्प करी, अब पर छत विचार ॥७॥ जे वर्ग चप तसं वर्ग नौं, चउथौ अक्षर होय।। उदाहरण कहुं एह नौं, समझी लीजो सोय ॥८॥ अच् हलो ए रूप नौं, अज्ह लो सुत्त दोय । चपा अबे जब हो झमा, अज्हलो चपा ब जोय ॥९॥ षट् हलानि रौ हुवै, षड्ढलानि सुत्त दोय । षड्हलानि इहां सूत्र इक, चपा भवे जब होय ॥१०॥ तत् हवि तद्धवि हुवै तद्हवि चपा देष । वाक् हरि, वाग्धरि यह बे, वाग्हरिः इक पेष ॥११॥ ककुप् हास केरी हुवै ककुब्भास वे सुत्र । चपा अवे अरु हो झभा, ककुब् हास इक उत्र ॥१२॥ स्तोश्चुमिश्च त्रिपद सत्त, सकार तवर्ग तणो य । शकार चवर्ग ना योग थी शकार चवर्ग होय ॥१३॥ कस् चरति चु योग थी, कश्चरति श होय । कस् शूर श योग थी, कश्शूर श अवलोय ॥१४॥ तत् चित्रं चु योग थी, तच्चित्रं च होय । तत् शास्त्रं तच्छास्त्रं ह्र, चपाच्छ: स्तोश्चु दोय ॥१५॥ तत् श्रवणं तच्छ्रवणं ह्र चपाच्छः स्तोश्चुः । कस् छादयति नौं हुवै, कश्च छादयति ऊह ॥१६॥ न शात् द्विपद सूत्र ए, शकार ते उत्तरेह । तवर्ग नौं चवर्ग न ह्र, प्रश्न विश्न मुलेह ॥१७॥ ष्टुमिष्टः द्विपद इहां, सकार तवर्ग तणो य । षकार टवर्ग ना योग थी, षकार टवर्ग होय ॥१८॥ कस् षष्ट ष योग थी, कष्षष्ट ष होय । कस् टीकते टु योग थी, कष्टीकते ष जोय ॥१९।। तत् टीकते टु योग थी, तट्टीकते ट देष । ष्टुभिष्टु ए सूत्र थी, शब्द सिद्ध संपेष ॥२०॥ १७४ तुलसी प्रज्ञा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.524584
Book TitleTulsi Prajna 1995 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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