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________________ ' के विकास में मील के पत्थर बने । उनके शांति शिक्षा सम्बन्धी विचार का आधार था--"मनुष्य स्वभाव से शांति प्रिय है, जब उसे अपने जीवन पर कोई खतरा नजर आता है, तभी वह हिंसक बनता है।" रूसो के पश्चात् पेस्टलॉजी व फ्रोबल ने शांति शिक्षा को एक नई दिशा दी। फ्रोबल का मानना था -- बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा का महत्वपूर्ण तत्त्व शांति शिक्षा है। वयस्कों के लिए जीने का शांतिपूर्ण तरीका हो, जिससे भाषा, विचार और क्रिया के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके । १९वीं शताब्दी में शांतिशिक्षा समाजवाद से प्रभावित हुई। मार्क्स, लेनिन आदि समाजवादियों ने कहा--शिक्षा सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए होनी चाहिए। २० वीं सदी में शांतिशिक्षा को अमेरिका में विकासशील शिक्षा (Progressive Education) तथा सोवियत संघ में स्वतंत्र शिक्षा (Free Education) की संज्ञा दी गई। प्रथम विश्व युद्ध के पहले शांति, शिक्षा का विषय नहीं थी। १८९० में केवल नीदरलैण्ड में इसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया था, जहां मोल्केनबोवर ने इसे अध्यापकों को पढ़ाने के लिए कहा । बाद में बूमन, मॉण्टेसरी, बैकमेन, डेसबर्ग आदि कई शिक्षा शास्त्री शांति शिक्षा से जुड़े। ये सभी शिक्षा शास्त्री नीदरलैण्ड की शांति शिक्षा से प्रभावित थे । इसी समय शांति शिक्षा के साथ-साथ शांति के लिए शिक्षा का विचार भी सामने आया। शांति शिक्षा का अर्थ है -शांति स्थापित करने के लिए लोगों को शिक्षित-प्रशिक्षित करना । शांति के लिए शिक्षण का उद्देश्य हैयुद्ध व शस्त्रीकरण का समाज पर क्या दुष्परिणाम होगा, इससे सम्बन्धित जानकारी लोगों को बताना तथा उन दुष्परिणामों को दूर करने के उपायों को सुझाना। शांति के लिए शिक्षण के तीन मुख्य प्रतिनिधि हुए हैं- फोयरस्टीर, मॉण्टसरी व ओएस्टरिच, जिन्होंने शांति शिक्षण का विकास किया । ___ फोयरस्टीर का मानना था - "मनुष्य अपने प्राकृतिक स्वभाव का दमन कर आध्यात्मिक उत्थान का प्रयत्न करता है। आध्यात्मिक उत्थान तभी सम्भव हो सकता है जब वह विश्वात्मा से मिल जाय, इसके लिए शांति शिक्षा प्रभावी है क्योंकि शांति का अर्थ ही है-"विश्वात्मा के समकक्षता।" मॉण्टसरी का मानना था- "बच्चे का निर्माण तो स्वयं होता है । शिक्षा का कर्तव्य बस इतना ही है कि वह उस निर्माण में जो बाधाएं आये, उसे दूर कर दे।" अर्थात् एक ऐसा पर्यावरण तैयार कर देना, जिसमें बच्चा स्वयं के सिद्धांतों के आधार पर अपना निर्माण व विकास कर सके । ओएस्टरिच का मानना था-"शांति केवल संस्कृति के पुनर्निर्माण से ही सम्भव हो सकती है । प्रत्येक व्यक्ति इस संस्कृति का एक घटक है। व्यक्तिगत स्तर पर वह एक अंश दिखाई देगा जबकि समूह में भाईचारे व मानवीयता की भावना विकसित होगी जो उत्पादक और सम्पूर्ण शिक्षा से ही आएगी तथा ऐसी शिक्षा शांतिपूर्ण होगी।" उन्होंने यह भी कहा..-"शांतिशिक्षा, यह एक पुनरुक्ति है । सही शिक्षा, सभी के लिए, सभी लोगों में---यही तो शांति का आदर्श है।" शांतिशिक्षा के विकास में ड्यूवी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। ड्यूवी ने कहा - "वह वातावरण जिसमें शिक्षा ली जाती है, शिक्षा की गुणवत्ता पर महत्त्वपूर्ण ५२ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524583
Book TitleTulsi Prajna 1995 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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