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________________ । प्रथम चरण का विश्लेषण द्रष्टव्य है : द्वेषञ्च रागञ्च तथैव मोहं द्वेषञ्च - SS १ ( तगण ) रागञ्च = ss १ (तगण ) तथैव - १९१ ( जगण ) मोहं =ss ( दो गुरुवर्ण) - ११ अक्षर एक उदाहरण का निर्देश, जिसमें अजेय जितेन्द्रिय मुनियों का चित्रण औपम्य - शैली में किया गया है । यह श्रुतिमधुरता, श्रवणसुखदता एवं सद्यः प्रभावोत्पादकता आदि गुणों से संवलित है विविक्तशय्यासनयन्त्रिताना मल्पाशनानां दमितेन्द्रियाणाम् । रागो न वा धर्षयते हि चित्तं पराजितो व्याधिरिवोषधेन ॥ १ इस गाथा में इन्द्रवज्रा छंद के लक्षण पूर्णतया घटित हो रहे हैं । उपेन्द्रवज्रा उप यह संस्कृत साहित्य का प्रिय छन्द है । तात्त्विक एवं प्रज्ञामूलक बिम्बों के स्थापन में इसका अत्यधिक प्रयोग परिलक्षित होता है । इस छन्द के सभी चरण समान होते हैं । प्रत्येक चरण में जगण, तगण, जगण और अन्त में दो गुरु के क्रम से ११ अक्षरों का विन्यास होता । यह इन्द्रवज्रा जैसा ही है । केवल प्रथम अक्षर इन्द्रवज्रा का गुरु होता है, उपेन्द्रवज्रा में लघु हो जाता है— "उपेन्द्रवज्रा प्रथमे लघौ सा ।' १३३ वृत्तरत्नाकरकार ने इसका लक्षण इस प्रकार दिया है उपेन्द्रवज्रा जतजा स्ततो गौ 133 अर्थात् उपेन्द्रवज्रा छन्द में जगण, तगण, जगण और अन्त में दो गुरु वर्ण का उपक्रम किया जाता है । आचार्य श्री महाप्रब ने संबोधि में लेकिन जितने हैं वे अत्यन्त आकर्षक हैं। छांदिक सौन्दर्य प्रशंसनीय बन गया है। है और तृष्णायतन मोह है' इस तथ्य का गया है इस छन्द का अलंकारों के लौकिक दृष्टांत निरुपण अधो —— ३२४ यथा च अण्डप्रभवा बलाका, अण्डं बलाकाप्रभवं यथा च । एवञ्च मोहायतनं हि तृष्णा, मोहश्च तृष्णायतनं वदन्ति ॥ ३४ इसके प्रत्येक चरण में ज, त, ज, ग, ग के क्रम से ११ अक्षर विन्यस्त हैं । प्रथम चरण का विश्लेषण द्रष्टव्य है - प्रयोग बहुत कम किया है, स्वाभाविक प्रयोग से उनका के द्वारा मोहायतन तृष्णा विन्यस्त श्लोक में किया 'यथा च अण्डप्रभवा बलाका' यथा च = १SS जगण अण्डप्र = SS १ तगण भवाब = १९१ जगण Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524582
Book TitleTulsi Prajna 1995 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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