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से होने वाले संघर्षों का पता लगाकर उनके समाधान के रूप में निशस्त्रीकरण को प्रस्तुत करना क्योंकि विश्वशांति का एक मार्ग यह भी है।
__विश्व में कुविकास की समस्या बड़ी जटिल है । एक ओर तो विकसित राष्ट्र हैं, जहां भौतिक समृद्धि है, शक्ति है फिर भी वहां अशांति है। दूसरी तरफ अविकसित और पिछड़े हुए राष्ट्र हैं, जहां गरीबी अशांति का कारण बनी हुई है । अर्थात् असंतुलित विकास विश्व शांति के लिए खतरा बन गया है। शांतिशोध का उद्देश्य है कि इस कुविकास या असन्तुलित विकास के कारणों का पता लगाए तथा इसको रोककर समुचित व सन्तुलित विकास का मार्ग प्रशस्त करें।
विश्व के राष्ट्रों की परस्पर अन्तनिर्भरता इतनी अधिक बढ़ गई है कि पारस्परिक सहयोग के बिना कार्य नहीं चल सकता और पारस्परिक सहयोग की कमी के कारण अनेक संघर्ष भी होते हैं । आज आवश्यकता है कि पारस्परिक सहयोग के क्षेत्र को बढ़ाएं और प्रतिस्पर्धा व अविश्वास की भावना को छोड़ें। ये शस्त्रीकरण व अशांति के स्रोत हैं जबकि पारस्परिक सहयोग विश्वशांति का आधार । शांतिशोध का उद्देश्य है पारस्परिक सहयोग के क्षेत्रों की खोज करें व पारस्परिक सहयोग को
बढ़ाएं।
उपनिवेशवाद की समाप्ति के पश्चात् नव्य-उपनिवेशवादी नीतियां सामने आ रही हैं । शक्तिशाली राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों के आर्थिक विकास में इसलिए रुचि लेते हैं ताकि उनकी अर्थ-व्यवस्था पर वे नियन्त्रण स्थापित कर उस राष्ट्र को अपने इशारों पर चला सकें । शांतिशोध का यह उद्देश्य है कि उपनिवेशवाद के इस नवीन संस्करण के रूपों व कारणों का पता लगाकर निदान का मार्ग प्रशस्त करे।
. समाज की संरचना में व्याप्त दोष हिंसा का एक मूलभूत् कारण है। शांतिशोध का तो यह प्रथम उद्देश्य है कि वह समाज-व्यवस्था और समाज की जड़ों में हिंसा के जो बीज छुपे हैं, उनका पता लगाकर संरचनात्मक हिंसा पर काबू पाए ।
इस प्रकार शांतिशोध के उपर्युक्त अनेक उद्देश्यों के अतिरिक्त मानवीय एकता, पर्यावरण, धार्मिक सहिष्णुता, आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी आदि अनेक ऐसी ज्वलन्त समस्याएं जिनके कारण व उन समस्याओं के निदान का रास्ता सुझाना शांतिशोध का उद्देश्य होता है । शांतिशोध को आवश्यकता
निम्नांकित विषयों के अध्ययन के लिए शांतिशोध की आवश्यकता है।
विश्व के बड़े धर्मों का शांति के प्रति क्या दृष्टिकोण है ? यह बड़ा महत्त्वपूर्ण है कि विश्वशांति का मार्ग विभिन्न धर्मों की शांति के प्रति दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। विश्व में अनेक ऐसे युद्ध हुए हैं जो धार्मिक आधारों पर लड़े गए हैं। इराक-ईरान की इतने वर्षों तक चली लड़ाई इसका सशक्त प्रमाण है और भी उदाहरण दिए जा सकते हैं-जैसे अफगानिस्तान की अशांति, बंगलादेश व पाकिस्तान की अशांति आदि-आदि। प्रारम्भ से धर्म और राजनीति के बीच संघर्ष चलता रहा है। अतः आज इस बात की अपेक्षा है कि विभिन्न धर्मों के शांति के प्रति दृष्टिकोणों का पता लगाएं तथा शांति
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तुलसी प्रज्ञा
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