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वैज्ञानिक समीक्षा
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क्या अकाल मृत्यु सम्भव है ?
अनिल कुमार जैन
__ क्या प्रत्येक द्रव्य की प्रति समय की पर्याय सुनिश्चित है ? किस वस्तु में, किस समय, कौन-सी पर्याय उत्पन्न होगी-क्या यह निश्चित है ? जैन विद्वानों में, विशेषकर दिगम्बर आम्नाय के विद्वानों में यह चर्चा का विषय रहा है। इसके पक्ष व विपक्ष दोनों में शास्त्रों की अलग-अलग व्याख्या प्रस्तुत की गई हैं। लेकिन दोनों पक्ष एकमत नहीं हो सके हैं।
जो विद्वान् उपरोक्त प्रश्न का उत्तर 'हां' में देते हैं, उनके अनुसार इस परिणमनशील जगत् की परिणमन-व्यवस्था-क्रम नियमित है।' जैसे चलचित्र में दृश्य क्रमशः आते हैं, एक साथ नहीं; उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य में पर्यायें क्रमशः ही होती हैं, एक साथ नहीं । चलचित्र में यह भी निश्चित होता है कि किस दृश्य के बाद कौन-सा दृश्य आएगा, उसी प्रकार पर्यायों में भी यह निश्चित होता है कि किसके बाद कौन-सी पर्याय आवेगी। अपने मत को वे जिनेन्द्र देव की सर्वज्ञता से सिद्ध करते हैं। जिनेन्द्र भगवान् सभी द्रन्यों की भूत, भविष्य और वर्तमान की सभी पर्यायों को जानते हैं। अतः जिस जीव के, जिस देश में, जिस काल में, जिस विधान से, जो जन्म अथवा मरण जिनदेव में जाना है; उस जीव के, उसी देश में, उसी काल में, उसी विधान से वह अवश्य होता है । इसी संदर्भ में एक बात यह भी आती है कि यदि किसी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उसे असामायिक निधन या अकाल-मृत्यु कहा जाता है। लेकिन उपरोक्त कथनानुसार अकाल-मृत्यु जैसी कोई घटना नहीं होती। हम जिसे अकाल-मृत्यु कहते हैं, वस्तुत: वह मृत्यु सकाल ही है क्योंकि उस समय यह दुर्घटना होनी थी तथा उस व्यक्ति की उसमें मृत्यु होनी थी, यह सब तय था। काल नय तथा अकाल नय
___ जो विद्वान् इन व्याख्याओं से सन्तुष्ट नहीं हैं, उनका कहना है कि 'प्रत्येक द्रव्य की प्रति समय की पर्याय निश्चित हैं, अत: जब जैसा होना होगा, वैसा ही होगा;' ऐसी मान्यता रखना 'नियतिवाद' है। नियतिवादियों का भी कहना है कि--'जिसका जिस समय जहां जो होना होता है वह होता ही है । तीक्ष्ण शस्त्र घात होने पर भी यदि मरण नहीं होता है तो व्यक्ति जीवित ही बच जाता है और जब मरने की घड़ी आती है तब बिना किसी कारण के ही जीवन की घड़ी बन्द हो जाती हैं । मनुष्यों को नियति के कारण जो भी शुभ और अशुभ प्राप्त होता है वह अवश्य ही होगा। प्राणी कितना
पण्ड २०, बक ३
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