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________________ विपाक री जोड़ (अपूर्ण) उक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त कुछ और ग्रन्थ भी हैं जिन्हें राजस्थानी में आगम भाष्य कहा जा सकता है । वे हैं--- चौरासी आगमाधिकार निशीथ री हुंडी बृहत्कल्प री हुंडी व्यवहार री हुंडी भगवती री संक्षिप्त हुंडी जयाचार्य ने कुछ तात्त्विक कृतियों की रचना भी की। उनमें भी आगमों का पर्याप्त दोहन हुआ है। कइयों में तो आगमसाक्षियों के साथ पूरे पाठ उनके अर्थ और विवेचन के साथ दिए गए हैं। आगमों के संकेत निर्देश तो सर्वत्र उपलब्ध हैं । उनमें प्रमुख हैं भ्रम विध्वंसन प्रश्नोत्तर तत्त्वबोध बृहत् प्रश्नोत्तर तत्त्वबोध जिनाज्ञा मुखमंडन कुमति विहंडन सन्देह विषौषधि प्रश्नोत्तर सार्ध शतक लघु सिद्धान्त सार उक्त कृतियां जयाचार्य के प्राकृत और संस्कृत - दोनों भाषाओं के अगाध ज्ञान का संकेत देती हैं। तेरापंथ के दूसरे आचार्यश्री भारमलजी के कार्यकाल में मुनि जीवोजी ने ग्यारह आगमों पर पद्यबद्ध व्याख्याएं लिखीं। आकार-प्रकार की दृष्टि से लघु होने के कारण उनका अधिक प्रसार नहीं हो पाया। फिर भी उनका आगमिक प्राकृत भाषा का ज्ञान उनसे प्रकट होता है। तेरापंथ में अनेक आगमज्ञ मुनि हुए हैं। उनका प्राकृत भाषा पर अच्छा अधिकार रहा है। अध्ययन-अध्यापन में भी प्राकृत का उपयोग होता रहा है । साधुओं की तरह साध्वियों में भी इसके अध्ययन का क्रम विकसित हुआ है। संस्कृत की तरह यह बोलचाल की भाषा न भी हो किन्तु ज्ञान और अनुसन्धान की दृष्टि से कोई कमी भी नहीं रही है। सन् १९५४ में गणाधिपति श्री तुलसी बम्बई में चतुर्मास-यापन कर रहे थे । उस समय अमरीका के पेनेस्लीविया युनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ० नोर्मन ब्राउन गणाधिपति के सान्निध्य में उपस्थित हुए। वे संस्कृत और प्राकृत भाषा के अच्छे विद्वान थे । उन्होंने निवेदन किया-मैंने संस्कृत तथा अन्य भाषाओं में अनेक वक्तव्य सुने हैं किन्तु भगवान् महावीर की प्राकृत भाषा में कभी किसी का वक्तव्य नहीं सुना। यदि आपके पास उस प्रकार का वक्तव्य सुनने को मिले तो मुझे अतिरिक्त खण्ड २०, अंक ३ १७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524581
Book TitleTulsi Prajna 1994 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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