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________________ 18. Muni Punya Vijaya-Catalogue of Palm-leaf Mss in the Shanti Natha Jaina Bhandar, Combay, Part II Pp. 257258. . . अमृतलाल मगनलालशाह-संपा० श्री प्रशस्तिसंग्रह प्रकाशक-श्रीदेशविरति धर्माराधक समाज, अहमदाबाद, वि० सं० १९९३, खंड १, पृष्ठ ५, क्रमांक ९ 19. C. D. Dalal-Ibid Pp-361-363. मुनि जिनविजय-संपा० जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह सिंघी जैन ग्रन्थ माला, ग्रन्थांक १८, बम्बई १९४३ ईस्वी, पृष्ठ १२ २०. मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ ३०-३२ मुनि पुण्यविजय को पक्त प्रशस्ति खंडित रूप में प्राप्त हुई, अतः उन्होंने उसे उसी रूप में प्रकाशित किया है : Catalouge of Palm-leaf Mss in the Jaina Bhandar Combay. Part one P. 112-118. २१. संवत १४१० वर्षे आषाढ़ वदि द्वितीया दिने अलेखि आनन्दरत्नगणिना परोपकराय देवकुलपाटक महाहगरे ।। श्रीमच्चंद्रगच्छनायकपुरंदर श्रीसोमसुंदरसूरि तत् शिष्योपाध्याय श्री साधुराजगणिशिष्यपरमाणु ना ।।, शुभं भवतु श्रीश्रमणसंघाय ॥ श्रीपिण्डविशुद्धि (सावचरि) की पुस्तक प्रशस्ति श्री अमृतलाल मगनलाल शाह, पूर्वोक्त, भाग २, पृष्ठ २, प्रशस्ति क्रमांक ७ । २२. इति श्री भद्रवाहप्रणीत दुखमाप्राभृततश्चतुरधिकद्विशहस्त्रयुगप्रधानस्वरूपं सुखावबोधनार्थं श्रीदेवेन्द्रसूरिणा यंत्रपत्रे न्यासीचक्रे श्रीचंद्रगच्छे प्रद्योतनाभ श्रीसोमतिलकसूरिस्तेषामुपाध्याय श्रीहंसभवनगणि प्रसादतः श्रीशिष्य श्रीकीर्तिभुवनेन श्रीमति स्तंभनकपुरे विक्रमांत संवत् विश्वमनु १४१३ वर्षे लिखितं श्रीपद्रपत्तने श्रीवासुपूज्यप्रसत्तेः वही, भाग २, पृष्ठ ३, प्रशस्ति क्रमांक ८ २३. मुनि जिनविजय --संपा० जन पुस्तक प्रशस्तिसंग्रह पृष्ठ १४८, प्रशस्ति क्रमांक ३९७ २४. श्री अमृतलाल मगनलाल शाह, पूर्वोक्त, भाग २, पृष्ठ १०४, प्रशस्ति क्रमांक ३८२ 25. U. P. Shah-AKOTA Bronzes Pp. 27-28 26. Ibid, Pp. 39-40. 27. Ibip, pp. 39-40. 28. Ibid, Pp. 60 खण्ड १९, अंक ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524578
Book TitleTulsi Prajna 1994 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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