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________________ जो न केवल भ्रामक है बल्कि सत्य से परे है। बाद में लिखे गये कुछ ग्रंथों में भी उक्त त्रुटिपूर्ण विवरण को अक्षरशः दुहराया गया है। वस्तुतः एक ही समय में एक ही नाम वाले एक से अधिक ग्रन्थकारों के हो जाने तथा उनके द्वारा रचनाकाल आदि का स्पष्ट उल्लेख न होने से ऐसा भ्रम उत्पन्न हो जाना सामान्य बात है किंतु मूल साक्ष्यों के आधार पर इसका निराकरण भी सम्भव है। ७. प्रद्य म्नसूरि-ये चंद्रगच्छीय कनकप्रभसूरि के शिष्य थे। जैसाकि इस निबन्ध के प्रारम्भिक पृष्ठों में ही कहा जा चुका है इन्होंने वि० सं० १३२४/ ई० सन् १२६८ में समरादित्यसंक्षेप की संस्कृत भाषा में रचना की। इसके अतिरिक्त इन्होंने वि० सं० १३२८/ ई० सन् १२७२ में प्रवज्याविधानटीका की भी रचना की।४५ इन्होंने उदयप्रभसूरि, मुनिदेवसूरि, विनयचंद्रसूरि, प्रभाचंद्रसूरि आदि ग्रन्थकारों की कृतियों का संशोधन भी किया। संदर्भ १. प्रभावकचरित संपा० मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई विविधगच्छीयपट्टावली संग्रह संपा० मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५३, बम्बई १९६१ ईस्वी सन्, पृष्ठ ६१, १७८ आदि 2. U, P. Shah-Akota Bronzes State Board for Historical Records and Ancient Monuments Archaeological Series, No. 1, Bombay 1959 A. D. Pp. 28,39,66. 3. Ibid P. 28 ४. बृहद्गच्छीय आ हार्य वादिदेवसूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरि द्वारा रचित उपदेशमालाप्रकरणव त्ति (रचनाकाल वि० सं० १२३८/ईस्वी सन् ११८२) की प्रशस्ति Muni Punya Vijaya-Catalogue of Palm-Leaf Mss In The Shanti Natha Jaina Bhandar, Combay, G. o. S. No. 149, Baroda, 1966 A. D., Pp. 284-26. तपागच्छीय मुनिसुन्दरसूरि द्वारा रचित गुर्वावली (रचनाकाल वि० सं० १४६६/ ई० सन् १४१९) : तपागच्छीय आचार्य हीरविजयसूरि के शिष्य धर्मसागरसूरि द्वारा रचित तपागच्छपट्टावली (रचनाकाल वि० सं० १६४८/ ई० सन् १५९२) : बृहदगच्छीय मुनिमाल द्वारा रचित वृहद्गच्छगुर्वावली (रचनाकाल वि० सं० १७५१/ ई० सन १६९५) इस सम्बन्ध में विस्तार के लिये द्रष्टव्य पं० दलसखभाई खण्ड १९, अंक ४ ३३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524578
Book TitleTulsi Prajna 1994 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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