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________________ 'तुलसी-प्रज्ञा' के खंड १८ व १९ की - डॉ० परमेश्वर सोलंकी (अकारादि क्रम) खण्ड-१८ १. अनुप्रेक्षा : विचारों का सम्यक् चिन्तन-डॉ० रज्जन कुमार (अंक ३, पृ० १८९-१९८) २. अश्रुवीणा में बिम्ब योजना --डॉ० हरिशंकर पाण्डेय (अंक १, पृ० ४१-४७) ३. आचार्य तुलसी की नई कृति : तेरापंथ प्रबोध-डॉ० हरिशंकर पाण्डेय (अंक ३ पृ० २६५-२७२) ४. आचार्य श्री तुलसी की राजस्थानी भाषा-शैली---- डॉ० मनोहर शर्मा ___ (अंक ३, पृ० २१३-२१८) ५. आचार्य श्री तुलसी स्तुति --मुनि नथमल (अंक १, पृ० १४) ६. उत्तराध्यन के दो सन्दर्भ---डॉ० परमेश्वर सोलंकी (अंक १, पृ० ३०) ७. उत्तराध्ययन सूत्र में प्रयुक्त उपमान : एक विवेचन --डॉ० हरिशंकर पांडेय (अंक ३, पृ० २४५-२५५) । ८. कवि हरिराज कृत प्राकृत मलयसुन्दरी चरियं-डॉ० प्रेमसुमन जैन (अंक ३, प्र० १८१-१८८) ९. कृष्णदत्त बाजपेयी : एक श्रद्धांजलि-डॉ० परमेश्वर सोलंकी (अंक ४, पृ० ३१६) १०. काल का स्वरूप और उसके अवयव-डॉ० परमेश्वर सोलंकी (अंक २, पृ० ७९-८५) ११. गांधीजी ने जैन जगत् को जगाया --डॉ. परमेश्वर सोलंकी (अंक ३, पृ० २३६) १२. गुण स्थान सिद्धांत का उद्भव और विकास प्रो० सागरमल जैन (अंक १, पृ० १५-२९) खण्ड १९, अंक ४ ३८९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524578
Book TitleTulsi Prajna 1994 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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