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________________ प्रभाव मात्र हैं। इसलिए यथासाध्य इन चारों को कम करने का पूर्ण प्रयत्न किया जाय । ३. वर्तमान शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन किया जाय । भौतिक अभिसिद्धि को ही एकमात्र लक्ष्य न रख कर शिक्षा में आध्यात्मिकता को मुख्य स्थान दिया जाय । इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय चेष्टा की जाय । ४. भावी मानव समाज की व्यवस्था नैतिक और धार्मिक तथा सदा चार पूर्ण नियमों को छोड़ कर द्वेष और स्वार्थपूर्ण तथा शोषण नीति के आधार पर न की जाय । ५. वैज्ञानिक आविष्कारों का उपयोग अनियंत्रित रूप से नहीं किया जाय । कम से कम युद्ध के लिए तो एक बारगी ही बंद कर दिया जाय । भौतिक सुखों के लिए भी यथासाध्य उनका उपयोग करने की चेष्टा कम की जाय । ६. ऐसे राष्ट्रीय प्रेम का, जिससे अन्य राष्ट्रों से मनोमालिन्य होने की संभावना हो-प्रचार न किया जाय । उसकी अपेक्षा वास्तविक विश्व बंधुत्व का प्रचार अधिक से अधिक किया जाय और आर्थिक तथा राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता को घटाने का पूर्ण प्रयास किया जाय। ७. आवश्यकता से अधिक संचय करने की चेष्टा न की जाय । पारस्परिक स्पर्धा, ईर्ष्या, सत्ता प्राप्ति, दूसरे की सम्पत्ति, स्वत्त्व और सौख्य को हड़पने की चेष्टा न की जाय । इसी से व्यक्ति, समाज और राष्ट्रों में अशांति हो जाती है। ८. दुर्बल, दलित जातियों और देशों पर जाति-विशेष के कारण अन्याय और अत्याचार न किया जाय । न्याय, अपक्षपात और मनुष्यत्व के मूल सिद्धांत जीवन में अधिक से अधिक विकसित किये जाय। ९. बल प्रयोग, कूटनीति, आर्थिक प्रलोभन और अन्य अन्यायपूर्ण तथा कुत्सित साधनों से किसी भी मत, धर्म, सिद्धांत या विचारधारा का प्रचार न किया जाय । धार्मिक स्वतंत्रता प्रत्येक राष्ट्र को उपलब्ध हो। धार्मिक स्वतंत्रता का अपहरण करना या धर्माधिकारों पर कुठाराघात करना, मनुष्य के जन्म सिद्ध अधिकारों पर आघात करना है।' माचार्यश्री ने बाद में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में हुए विश्वधर्म सम्मेलन की तरह भारत में भी विश्वशांति के लिए प्रयास किए जाने की प्रेरणा दी और सन् १९४९ में, शांति निकेतन में वह बृहत् विश्वशांति सम्मेलन हुआ। खण्ड १९, अंक ३ २२७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524577
Book TitleTulsi Prajna 1993 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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