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________________ दशरथ के बाद सम्प्रति (या संयुत) और फिर शालिशूक राजा बना। जहाँ मत्स्य और वायु (ई) में दशरथ और सम्प्रति के क्रमशः ८ और ९ वर्ष राज्य करने की बात कही गयी है वहाँ वायु के साधारण पाठ और ब्रह्माण्ड में बन्ध पालित और इन्द्रपालित के क्रमशः ८ और १० वर्ष राज्य करने का उल्लेख कुणालसूनुरष्टौ च भोक्ता वै बन्धुपालितः ! बन्धुपालितदायादो दशभावीन्द्रपालितः ॥" पुराणोक्त सभी मौर्य राजा मगध के राजा हैं अतः पूर्वापरक्रम को देखते हुए बन्धुपालित (जिसे कुणाल का पुत्र कहा गया है और जिसका शासन भी आठ वर्ष ही रहा) दशरथ से अभिन्न है और उसका उत्तराधिकारी इन्द्रपालित सम्प्रति से अभिन्न है । हाँ, वायु (ई) में सम्प्रति की शासनावधि ९ वर्ष दी गयी है जबकि वायु के साधारण पाठ और ब्रह्माण्ड में १० वर्ष । वायु के साधारण पाठ और ब्रह्माण्ड में शालिशूक का नाम नहीं और मौर्य राजाओं की संख्या भी ९ ही मानी गयी है । अतः इन पुराणों की दृष्टि में शालिशूक का एक वर्ष का शासन-काल इन्द्रपालित अर्थात् सम्प्रति) के शासन काल में गिना गया है। स्पष्ट है कि धर्मात्मा सम्प्रति से गद्दी छीनकर शालिशूक राजा बना था। पुराणकार इसीलिए उसे हेय मानते हैं। सच तो यह है कि बलपूर्वक जैनमत का प्रचार न कभी हुआ, न ऐसा होने का कोई प्रश्न ही उठता है । सभी जानते हैं कि जैन पक्के अहिंसक हैं । संदर्भ-सूची १. JBORS, Vol. xvi, pt. 1, 29-30 २. i ARGITER, Dynasties of the kali Age. londan, 1913, ___p. 28 ३. Ibid, p. 29 ४. R. M. Smith, Dates And Dynasties In earliest India, Delhi, 1973, p. 365 ५. PARGITER, DKA, p. 29 ६. Ibid, p. 29 खण्ड १९, अंक २ १३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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