SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निंद्य तथा व्यसन होने के कारण, नरक देने वाला होने के कारण, तथा भय देने वाला होने के कारण वह त्याज्य है । संदर्भ सूचि १. चारित्रसार गत श्रावकाचार, सूत्र २४७ २. पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय, सूत्र ६५ की टीका ३. आचारांग सूत्र, सूत्र १.२.१५ ४. आचारांग सूत्र, सूत्र ५.५.१७० ५. तुरूषार्थ सिद्ध्युपाय, सू० ६५ महापुराणान्तर्गत -- श्रावक धर्म, सू० २.२९ यशस्तिलक चम्पूगत - उपासकाध्ययन, स० २६४ सागारधर्मामृत, सू० २८ धर्मसंग्रह -- श्रावकाचार, २.२९, २.३३, २.३४ प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, सू १२.१३, १२.१७ व १२.३९ धर्मापदेशपीयूषवर्ष - श्रावकाचार, सू० ३.१८ उमास्वामि श्रावकाचार, २६७ पूज्यपाद – श्रावकाचार, सू० १८ पुरूषार्थानुशासन-गत-श्रावकाचार, सू० ४.१२ ६. सागारधर्मामृत, सू० २.७ व २.८ ७. पुरुषार्थसिद्ध युपाय, सू० ६६ सागरधर्मामृत, सू० २.७ पुरूषार्थानुशासन।गत । श्रावकाचार, सू० ४.१३ ८. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, सू० ६७ व ६८ ९. सागारधर्मामृत, सू० २.७ १०. धर्मसंग्रह श्रावकाचार, २.४२ यशस्तिलकचम्पूगत - उपासकाध्ययन, सू० २९० ११. पुरूषार्थ सि युपाय, सू० १३२ १२. चारित्रासार-गत - श्रवकाचार, सू० २.१६ धर्मसंग्रह श्रावकाचार, सू० २३५ प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, सू० १२.१४ व १२.३९ १३. यशस्तिलक चम्पूगत — उपासकाध्ययन, सू० २७४ १४. यशस्तिलकचम्पूगत- -उपासकाध्ययन, सू० २६४ अमितगतिश्रावकाचार, सू० १४.३५ ९० सागारधर्मामृत, सू० २.६ धर्मसंग्रह श्रावकाचार, सू० २.३३ व २.३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only मृत्यु 17 तुलसी प्रज्ञा www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy