SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विश्तु अधमा दसधा लभई हवई निरत्थाणि सूरे पुत्ते एयाणि कुसग्गेण जाईय सहस्सीय संजयाण सरीरंसि अगारेसु चइऊण लंधिया १५.३ १३.१८ २३.३६ १४.२९ १.४५ १.८ १.५ २२.४ ५.२१ ९.४४ १३.१९ २२.२३ २३.१० १४.१८ १.२६ १.२१ १.३३ Jain Education International विदित्तु अहमा दसहा लहए भवइ निरट्ठाणि सूयरो पुत्तो एयाई कुसग्गेणं इ सहस्सीए संजयाणं सरीरम्मि अगारेसुं चइत्ता लंघित्ता पा, ने. पा, ने. पा, ने. ने. For Private & Personal Use Only DE THE HE ने. पा, ने. पा, ने. पा. पा. पा, ने. पा, ने. पा, ने. ने. पा, पा, ने. पा. पा. पा, ने. उपसंहार हैं इस विश्लेषणात्मक अध्ययन और उपयुक्त प्रमाणों से स्पष्ट हो रहा है कि आगमों के विभिन्न संस्करण और उनकी हस्तप्रतियां (ताडपत्र और कागज की दोनों ही ) अनेक जगहों पर शब्द पाठ-भेदों से भरी पड़ी हैं और एक प्रकार से पाठान्तरों का जंगल ही दृष्टिगोचर होता है । चूर्णि और वृत्ति में भी मूल के साथ पाठ-भेद मिल रहे हैं । परन्तु इतना निश्चित है कि ये पाठ-भेद मूलतः विषय-वस्तु और अर्थ सम्बन्धी नहीं । ये तो भाषा-सम्बन्धी पाठ-भेद हैं और उपलभ्य विपुल सामग्री के आधार से इसके मूल कारण भी भलीभांति जाने जा सकते हैं । मूल उपदेश का स्थल मगध देश ( वैशाली से राजगृह) था । मौखिक परम्परा थी । वलभीपुर (गुजरात) में आगमों को लिपिबद्ध किया गया । मगध देश और वलभी की दूरी हजारों मील की, एक पूर्व भारत में तो दूसरा पश्चिम भारत में । कालान्तर भी एक हजार से भी अधिक वर्षों का - मूल उपदेश ई०स० पूर्व छठी पांचवीं शताब्दी में और लिपिबद्ध किया ई. स. की पाचवीं - छठीं शताब्दी में । इतने लम्बे काल और विविध प्रदेशों की जन- भाषा ने भी कितने ही रूप बदले और वे आगमों की मूल भाषा को प्रभावित करती रहीं । मूल मगध देश की भाषा में रचा गया था परन्तु जब लिपिबद्ध किया गया तब ( पश्चिम में ) महाराष्ट्री प्राकृत अपनी चरम सीमा खण्ड १९, अंक २ १५५ www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy