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________________ भगवता ७ पवेदिता ७ -समारंभा ७ समारंभा परिणाया ९ भवंति ९ आतुरा १० बहिताए १३ समुट्ठाए १४ भगवतो १४ (णि) निरए, १४,१९ पादं १५ जंध १५ नाभि १५ उदरं १५ बंध १५ बंगुलि १५ गंड १५ गेव १७ परिणाय - भगवता पवेइआ परिण्णाया भवंति गिडालं १५ इच्चेते १६ परिण्णाता १६ परिण्णाता उदय आतुरा अहिआए - समुट्ठाय भगवओ णरए, णिरए पायं जंध णाभि उदरं बंध अंगुलि गंड Jain Education International णिडालं इच्चे लोगं २२,३२ लोयं निवेदिता २४ पवेदिता जीवितस्स २४ जीवियस्स बोधीए २४ अबोहीए - हीए) उदय --- मिस्सिया २६ निस्सिया नेव परिण्णात कम्मे निक्खतो १९, अंक २ भगवया पवेइया --- समारंभा नेव परिण्णात कम्मे कम्मे १८ निक्खतो २० अणुपालिया २० अणुपालिज्जा अणुपालिया furखतो विजहित्ता २० वियहित्ता विजहित्त मकुतोभयं २१ अकुओभयं अकुतोभयं लोयं (गं) परिणाया भवंति आतुरा अहियाए समुट्ठाए भगवओ णरए, णिरए पायं जंध णाभि उयरं खंध अंगुलिं गंड णिडालं इच्चेते परिण्णाता पवेदिता जीवियस्स अबोहीए उदय निस्सिया भगवता पवेदिया -समारंभा परिण्णाया भवंति आतुरा अहिआए समुट्ठाए भगवतो निरए, णिरए पादं जंध णाभि उदरं खंध अंगुलिं गंड णिडालं इच्चे परिण्णाता णेव परिण्णाय कम्मे णिक्खतो अणुपालिज्जा विजहित्ता अकुतोभयं लोगं पवेदिता जीवितस्स अबोधीए ( हीए) उदय पिस्सिया For Private & Personal Use Only भगवया पवेइया समारम्भा परिन्नाया भवन्ति आउरा अहियाए समुट्ठाए भगवओ नरए पाय जङ्घ नाभि उयरं खन्धं अङ्गलि गण्ड निलाडं इच्चे परिन्नाया नेव परिन्नाय - कम्मे निक्खन्तो अणुपालिया विहितु अकुओभयं लोगं पवेइया जीतियस्स अबोहीए उदय---- निस्सिया १४७ www.jainelibrary.org
SR No.524576
Book TitleTulsi Prajna 1993 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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