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पुस्तक समीक्षा
(दर्शन का परिचय-लेखक राजेन्द्र स्वरूप भटनागर प्रकाशक राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी जयपुर प्रथम संस्करण १९९३, पृ० १०५, मूल्य : २६.०० रूपये)।
डॉ० राजेन्द्र स्वरूप भटनागर कृत दर्शन का परिचय पढ़ने को मिला १०५ पृ० की लघु पुस्तक में दार्शनिक चिंतन का स्वरूप, कर्म, व्यक्ति और संस्था, मूल्य और आदर्श, मानव, जगत, ईश्वर, ज्ञान, भाषा तथा तर्क की विभिन्न समस्याओं पर विद्वान लेखक ने पाठकों को परिचय कराने का प्रयत्न किया है । आकार में यह भले ही छोटी हो परन्तु विचार की गहरायी बहुत लंबी है । मानों लेखक ने पिंड में सम्पूर्ण ब्रह्मांड को समाविहित करने का प्रयास किया हो। यह पुस्तक दर्शन की उपर्युक्त समस्याओं का केवल परिचय मात्र उपस्थित नहीं करती बल्कि इसमें लेखक का अपना मौलिक चिंतन भी समाविष्ट है। एक ओर लेखक ने समीक्षात्मक और प्रश्न की शैली को अपनाकर स्पष्ट चिंतन का परिचय दिया है तो दूसरी ओर इन्होंने विभिन्न अतिवादों को युक्तियों के आधार पर आपस में समन्वित कर दर्शन को एक नयी दिशा देने का प्रयत्न भी किया है। इसमें पश्चिम के भाषा-विश्लेषणवाद, वस्तुवाद और बुद्धिवाद तथा पूरव के अंतः अनुभूतिवाद और सत्तावाद का अनुपम समन्वय है।
भाषा सरल और शुद्ध है। शैली वैज्ञानिक है। मुद्रण और साज सज्जा सुन्दर है । हां एक-दो स्थलों पर मुद्रण की भूलें रह गयी है । उपसंहार की शैली थोड़ी सी आलंकारिक हो गयी है। परन्तु गुणवत्ता की तुलना में त्रुटियां नगण्य हैं । मेरा विश्वास है कि यह तुस्तक न केवल दर्शन के विज्ञ पाठकों के लिये उपयोगी होगी बल्कि दर्शन में रूचि रखने वाले सामान्य पाठक भी इसे पढ़कर अपनी जीवन दृष्टि को निभ्रांत कर सकते हैं। आशा है यह पुस्तक विद्वज्जनों में समादत होगी।
डा० दशरथ सिंह प्रोफेसर एवं आचार्य अहिंसा और शांतिशोध विभाग, जैन विश्व भारती संस्थान, मान्य विश्वविद्यालय, लाडनूं ।
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