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६४.
भवंति भवन्ति अपरिण्णाय- अपरिन्नातकम्मे
परसवर्ण म० णकान; य/त/उद०
२
कम्मे
७०. ७१.
99999 MmXX
७७.
७८.
अणुदिसाओ अनुदिसाओ अणुसंचरति अनुसञ्चरति ,,, परसवर्ण अ० २ अणुदिसाओ अनुदिसाओ अणेगरूवाओ अनेगरूवाओ जोणीओ जोनीओ संधेति सन्धेति
परसवर्ण अ० परिण्णा परिन्ना
णकान जीवियस्स जीवितस्स यकात परिवंदण परिवन्दन परसवर्ण अ० माणण मानन
थकान पूयणाए पूजनाए
+यकाज जाती जाति
दीर्घ ई की जगह ह्रस्व इ मोयणाए मोयनाए णकान एतावंति एतावन्ति परसवर्ण अ० सव्वाति सव्वावन्ति लोगंसि लोकंसि गकाक कम्मसमारंभा कम्मसमारम्भा परसवर्ण अ० परिजाणियव्वा परिजानितव्वा णकान, यकात भवंति भवन्ति परसवर्ण अ० लोगंसि लोकसि
गकाक कम्मसमारंभा कम्मसमारम्भा परसवर्ण अ० परिण्णाया परिन्नाता णकान, यकात भवंति भवन्ति
परसवर्ण अ० मुणी मुनी . णकान परिण्णायकम्मे परिन्नातकम्मे
, , यकात सत्थपरिणाए सत्थपरिन्नाए पढमो पढमे
विभक्ति रूप उद्देसओ उद्देसगे
,,-ओकागे समत्तो समत्ते इमाओ इमातो य/त/उदवृतस्वर दिसाओ दिसातो सव्वाओ सव्वातो दिसाओ दिसातो सध्वातो
सव्वातो
९८.
तुलसी प्रज्ञा