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________________ वर्द्धमान ग्रंथागार, लाडनं की प्रत् और ऋग्वेद का ग्रंथाग्र : परिमान डॉ० परमेश्वर सोलडी साधारणतया माना जाता है कि प्रजापति ने कुल बारह हजार बृहती छन्द बनाए ।' एक बृहती छन्द में ३६ अक्षर होते हैं जिससे ऋग्वेद में कुल ३६ ४ १२००० = ४,३२००० अक्षर हुए । मनुस्मृति ने चार, चार सौ वर्षों की संध्या और संध्यांश सहित चार हजार वर्ष के काल को कृत, उसके तीन चौथाई भाग को त्रेता, दो चौथाई को द्वापर और एक चौथाई भाग को कलि नाम दिया है। तदनुसार इन चारों का महायुग भी १२००० वर्ष का होता है जो ३० दिन के माह और १२ माहों के वर्ष, गणना से वेद अक्षर तुल्य ४,३२००० से दस गुणा होता है। यही कथन ऋग्वेद की अनेकों ऋचाओं में है और यजुर्वेद की शुक्ल, कृष्ण संहिताओं में है कि कृत, त्रेता, द्वापर, कलि का सभास्थाणु (यज्ञयूप?) होता है जिसका दस गुणा युग और सौ दस गुणा (हजार गुणा) कल्प अथवा युगान्तर होता है।" ऋग्वेद की एक ऋचा (१.१६४.४८) में संवत्सर की व्याख्या है। वहां लिखा है कि १२ भागों में विभक्त ३६० अंशों का चक्र, सर्दी-गर्मी-वर्षां रूपी तीन नाभियों पर आधृत है । मानव दिन रात में १०८०० प्राण + अपान लेता-छोड़ता है । वर्ष में संवत्सर मुहूर्त भी १०८०० होते हैं। तदनुसार ऋग्वेद की पंक्तियां भी १०८०० मानी जाती हैं। एक पंक्ति छन्द में ४० अक्षर होते हैं, इसलिए वेद में भी ४० x १०८०० = ४,३२००० अक्षर हुए। इस प्रकार ऋग्वेद का परिमान अथवा ग्रन्थाग्र ४,३२००० अक्षर होना अभिप्रेत है किन्तु 'चरण व्यूह' में लिखा मिलता है "ऋचां दश सहस्राणि ऋचां पंचशतानि च ऋचामशीति: पादश्च (१०५८०) तत्पारायण मुच्यते ।" --कि ऋग्वेद में कुल १०५८० मंत्रों से पारायण पूरा हो जाता है। इससे ग्रन्थाग्र बृहती छन्द अनुसार गणना से ३८०८८० अक्षर अथवा पंक्ति छंद अनुसार गणना से ४२३२०० अक्षर बनेगा जो उपर्युक्त गणना से ५११२० या ९८०० अक्षर अथवा १४०० बृहती छंद या २४५ पंक्ति छन्द परिमान कम है। कतिपय विद्वान् शुक्ल यजुर्वेद (अध्याय-२३) की यजूंषि में आये प्रश्नोत्तर से"कत्यस्य विष्टाः कत्यक्षराणीति' ? 'षडस्य विष्टाः शतमक्षराणीति"-कि यज्ञ में जैसे मधुर अम्लादि षड् रस वाले पदार्थ हव्य होते हैं वैसे ही सौ, सौ अक्षरांक ("अक्षर खंड १८ अंक ४ २७३
SR No.524574
Book TitleTulsi Prajna 1993 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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