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________________ तुलसी स्तोत्रम् युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ तेरापंथ स्तोत्रम मुनिश्री नथमल (बागौर) जिन चतुर्विशिका तुलसी वचनामृतस्तोत्रम् गुरु गौरवम् मुनिश्री डूंगरमल देव गुरु स्तोत्रम् , सोहनलाल (चूरू) मातृ कीर्तनम् भगवत् स्तुतिः देवगुरु द्वात्रिंशिका मुनिश्री छत्रमल भिक्षु द्वात्रिंशिका तुलसी द्वात्रिशिका तुलसी स्तोत्रम् ,, दुलीचन्द "दिनकर" श्री तुलसी स्तोत्रम् ,, बुद्ध मल्ल (निकाय प्रमुख) श्री तुलसी स्तोत्रम् मुनिश्री पूनमचन्द नमिनाथ नुतिः मुनिश्री मोहनलाल "शार्दूल" नीति काव्य संस्कृत साहित्य में नीति परक ग्रन्थ विशेष रूप से उपलब्ध होते हैं । जीवन की श्रेयोभिमुखता के नाना विषयों का समावेश इनमें हुआ है। इन काव्यों की शैलोविशिष्ट प्रकार की और सुबोध है । इनमें प्रायः अनुष्टुप वृत्तों की ही प्रचुरता होती है। दूसरे वृत्तों में भी इसकी रचनाएं उपलब्ध होती हैं किन्तु उनकी संख्या कम है । नीति काव्यों में स्वाभाविकता भी इतनी अधिक होती है कि श्रोताओं के हृदय पर इनका सीधा प्रभाव होता है । नीति काव्य तथा उपदेश काव्य में कुछ पृथक्ता लक्षित होती है किन्तु वह बहुत सूक्ष्म है । जीवन के परिष्कार की प्रेरणा देना दोनों का समान लक्ष्य है किन्तु नीति काव्यों में सूक्तियों का सौष्ठव रहता है जबकि उपदेश काव्य में अर्थ की कल्पना पर विशेष बल दिया जाता है । नीति काव्य की चोट सीधी पड़ती है जब कि उपदेश काव्य का प्रभाव क्रमशः पड़ता है । जैन परम्परा में नीति काव्यों के प्रणेता भर्तृहरि माने जाते हैं। उनके द्वारा प्रणीत नीति शतक और वैराग्य शतक चाणक्य नीति की समकक्षता को प्राप्त करने वाले काव्य हैं। तेरापंथ में काव्य की अन्य विधाओं के साथ नीति काव्य की परम्परा भी सतत वर्धमान रही है । पंचसूत्रम्, शिक्षा षण्ण वतिः, कर्तव्यषत्रिंशिका, आदि अनेक काव्य ग्रन्थ इस परम्परा के विकास के हेतु हैं । पंचसूत्रम् आचार्य श्री तुलसी की एक विशिष्ट देन है। आज के स्वतंत्र मानस में परतंत्रता के प्रति इतनी तीव्र प्रतिक्रिया है कि वह व्यवस्था भंग के लिए उत्सुक ही नहीं अपितु भातुर हो रहा है । प्रश्न होता है कि क्या समाज अनुशासन का अतिक्रमण खण्ड १८, अंक ३, (अक्टू-दिस०, ९२) २३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524572
Book TitleTulsi Prajna 1992 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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