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इस पक्षी का सिर बिना पंख का होता हैं इसलिए पारतील, लोटित किरणों से इसकी चमड़ी में प्रविष्ट होती हैं तथा सूक्ष्म परजीवी कीटाणुओं को दूर कर देती हैं जो मृतक शरीर से उस पर जाते हैं।
हाथी के एक दांत का मूल्य ३६,०००,०० रुपये तक हो सकता है। काले गैंडे के अंखुओ जैसे सींगो के प्रति पोंड का मूल्य १४०००० रुपये हो सकता हैं। तेंदुए का मूल्य १००,००० रुपयों तक हो सकता है । यहां तक कि तोते का मूल्य पश्चिमी दुनिया में ६००० रुपये तक हो सकता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार अकेले आस्ट्रेलिया में पुष्पीय पौधों की २२०० जातियां खतरे के अधीन जी रही हैं। भारत में वर्तमान १०० जातियां भी अल्प समय में ही कुप्रबन्ध तथा गलत नियोजन के कारण नष्ट होने वाली हैं । यूविल पिटस पौडोकारप्स, फिलोक्लेडस, अगाकिस तथा यहां तक कि एकेसिया भी खतरे में है। रोबोलफिया, सरपेटिया, कोलकियम लेटयूम. अइसोरिया विथरी, अंकोक्टिम, डोइनोइटीजम आदि औषधीय वृक्षों को भी लुप्त होने के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह देखा गया है कि कुल ज्ञात जातियों के लगभग १० प्रतिशत को मानव कृत समस्यों के कारण लोप के खतरे का सामना करना पड़ रहा है ।
___पशुओं में लोप के खतरे के अधीन जी रही जातियों के उदाहरण हैं-हाथी, काला गैंडा, समुद्री घोड़ा, तेंदुआ, चीता, गुरिल्ला. जेबरा, कबूतर, तोता, कंगारु, टर्की गिद्ध आदि । मानव जाति को भी परमाणु हथियारों के कारण विनाश का भय बना हुआ है । यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है पर तथ्य हैं जैसा ऊपर कहा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में १८८५ में ६ अरब साभी कबूतर थे। शिकारियों द्वारा प्रतिदिन लगभग ५ लाख कबूतरों को मारे जाने के कारण यह जाति २९ वर्षों में ही समाप्त हो गई तथा अंतिम कबूतर १-९-१९१४ को मर गया । विलोप को रोकने के प्रयास की आवश्यकता
- हाल ही में प्रकृति में विकसित हुए असंतुलन ने मानव को सोचने तथा पृथ्वी पर रह रही जातियों के और लोप को रोकने के प्रयासों के लिए बाध्य किया है। सन् १९७२ में विश्व के राष्ट्रों के सभी राष्ट्राध्यक्ष स्टोकहोम में आयोजित यू. एन. सभा में मिले तथा इस दिशा में कार्य करने का निश्चय किया । वहां सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों का कहना है-"विश्व के समस्त प्राकृतिक संसाधनों की वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के लाभार्थ सुरक्षा की जानी चाहिए तथा वन्य जीवन एवं प्राणियों की सुरक्षा की जानी चाहिए।" फलतः अधिकांश देशों ने अपने देशों में प्राकृतिक संसाधन तथा परिरक्षण हेतु मंत्रालयों की स्थापना कर दी हैं।
इस दिशा में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी परिश्रम कर रहे हैं। उनमें से कुछ ये है-विश्व वन्य जीवन धन कोष, प्राकृतिक संशोधनों तथा प्रकृति के परिक्षण का अंतर्राष्ट्रीय संघ (आई यू सी), विरल पशु दुःख मुक्ति, न्यूयोर्क (रेयर), खतरे में पड़ी जातियों के लिए युवा लोगों का प्रयास (वाई पी टी ई एस) खतरे में पड़ी जातियों खण्ड १८, अंक ३ (अक्टू०- दिस०, १२)
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