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जैन वाङ्मय में उपलब्ध लब्धियों के प्रकार
मुनि विमलकुमार
सामर्थ्य विशेष को लब्धि कहते हैं। वह अनेक प्रकार की होती है। आवश्यकनियुक्ति, आवश्यकचूणि, आवश्यक हारिभद्रीयावृत्ति, आवश्यक उपोद्घात तथा प्रवचनसारोद्धार में लब्धियों का वर्णन उपलब्ध होता है ।' उसी के आधार पर प्रस्तुत निबंध में सोलह लब्धियों का वर्णन किया गया है । मतान्तर से वहां बीस लब्धियों की भी चर्चा की गई है । सोलह ल ब्धियां इस प्रकार हैं
आमोसहि विप्पोसहि, खेलोसही जल्लमोसहि चेव । संभिन्नसोय उजुमइ, सव्वोसहि चेव बोद्धव्वो ॥१॥ चारण आसीविसा केवली य, मननाणिणो य पुव्वधरा।
अरिहंत चक्कवट्टी, बलदेवा वासुदेवा य ॥२॥ (१) आमौषधि लब्धि (२) विट् औषधि लब्धि (३) खेलौषधि लब्धि (४) जल्लोषधि लब्धि (५) संभिन्नश्रोत लब्धि (६) ऋजुमति लब्धि (७) सवौषधि लब्धि (८) चारण लब्धि (९) आशीविष लब्धि (१०) केवली लब्धि (११) मनः पर्यवज्ञानी लब्धि (१२) पूर्वधर लब्धि (१३) अरिहंत लब्धि (१४) चक्रवर्ती लब्धि (१५) बलदेव लब्धि (१६) वासुदेव लब्धि ।
आचायं मलयगिरि ने आवश्यक उपोद्घात में इन सोलह लब्धियों के अतिरिक्त निम्नलिखित ग्यारह लब्धियों का भी नामोल्लेख किया है
(१) क्षीराव लब्धि (२) मध्वाश्रव लब्धि (३) सपिराश्रव. लब्धि (४) कोष्ठबुद्धि लब्धि (५) बीजबुद्धि लब्धि (६) पदानुसारी लब्धि (७) अक्षीणमहानस लब्धि (८) गणधरत्व लब्धि (९) पुलाकत्व लब्धि (१०) तेजः समुद्घात लब्धि (११) आहारक शरीरकरण लब्धि।
आवश्यक नियुक्ति, आवश्यकचूणि, आवश्यक हारिभद्रीयावृत्ति तथा आवश्यक उपोद्घात में मतान्तर से बीस लब्धियों की चर्चा की गई है
आमोसही य खेले जल्ले विप्पे य होइ सम्बे य । को? य बीयबुद्धी पयाणुसारी य संभिन्ने ॥१॥ उज्जुमइ विउल खीरे महु अक्खीणे विउवि चारणे य ।
विज्जाहर अरहंता चक्की बलवासु बीसइमा ॥२॥ अर्थात्-(१) आमषौषधि लब्धि (२) श्लेष्मौषधि लब्धि (३) जल्लोषधि लब्धि (४) विट् प्रश्रवणौषधि लब्धि (५) सौषधि लब्धि (६) कोष्ठबुद्धि लब्धि खण्ड १८, अंक २ (जुलाई-सित०, ९२)
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