________________
गया है । इसमें वस्तुपाल एवं शंख के मध्य होने वाले युद्ध की विस्तृत विवेचना की गयी है । कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं यथा-वीरधवल द्वारा लाट देश पर आक्रमण, मारवाड़ के राजाओं एवं लूणसाकनरेश के मध्य युद्ध, अम्बड द्वारा कोंकणनरेश मल्लिकार्जुन का वध एवं यादव राजसिंहण तथा शंख के मध्य युद्ध' आदि मुख्य कथा क्रम में स्वतः आ गयी हैं। इस प्रकार वन्सतविलास महाकाव्य में वर्णित समस्त तथ्य सुकृतसंकीर्तन, कीतिकौमुदी, कुमारपालचरित, वस्तुपाल तेजःपाल प्रशस्ति, प्रबन्धकोश, प्रबन्धचिन्तामणि आदि जैन ग्रन्थों द्वारा तथा विभिन्न शिलालेखीय प्रमाणों से प्रामाणिक सिद्ध होते हैं ।
___ वस्तुतः महामान्य वस्तुपाल के जीवन-चरित को लक्ष्य करके विविध काव्यों, महाकाव्यों, स्तुतिकाव्यों एवं कथाओं की रचना की गयी है, परन्तु, कवि बालचन्द्र सूरि, विरचित वसन्तविलास महाकाव्य में जो स्पष्टता, भव्यता एवं तथ्यों की प्रमाणिकता विद्यमान है, वह अन्यत्र समुपलब्ध नहीं है।
सन्दर्भ : १. गा० ओ० सि०, बड़ौदा १९१७, २. ख्यातं प्राप वन्सतपाल इति यो नाम द्वितीयं मुदा । नरनारायणनन्द, १६॥३८, ३. इण्डियन एण्टीक्वेरी, खण्ड-६, पृ० १८१, ४. कश्चित्पुरा दानवदूनविश्वत्राणाय नारायणवत्पयोधेः ।
स्वयम्भुसंध्याचुलुकादुदस्थाद्वीरो विकोसासिविहस्तहस्तः ॥ ब. वि. ३/१ ५. वही, ३१२ ६. वि० दे० च०; प्रथम सर्ग । ७. वडनगर प्रशस्ति, श्लोक २-३, एपिग्राफिया इण्डिका, खण्ड-१, पृ० २९६, ८. द्व० का०, श्लोक-२, पृ० ४ टीकाकार अभयतिलकगणि । ९. प्र. चि०, पृ० १५,
१०. व० वि० ३।३-७, ११. वही, ३८-९,
१२. वही, ३।१०-११ १३. वहीं, ३।१२-१३
१४. वही, ३।१४-१६ १५. व० वि० ३/१७-२०
१६. वही, ३/२१-२३ १७. वही, ३/२४-३०
१८. वही, ३/३१-३३ १९. वही, ३/३४-३५
२०. वही, ३/३६-३७ २१. डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी, पो० हि० आ० ना० इ० फाम जै० सो०, पृष्ठ ३३२;
एवं भावनगर इन्सक्रिप्शन, पृ० २१४, २२. व० वि०, ३/३८-४०,
२३. ३/४१-४५ २४. वही, ३/४६-४० २५. आनाकनामा मातृस्वस्रीयः । प्र० चि०, पृ० ९४ २६. व० वि० ३/३८,
२७. वही, ३१५३, २८. वही, ३/५४
२९. वही, ३/५५-५७, ३०. व० वि० ३/५८-६५
३१. नरनायणानन्द १६/३,
११४
तुलसी प्रज्ञा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org