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________________ तीर्थंकरों के नामकरण का हेतु और उनका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ मुनि विमल कुमार इस अवसर्पिणी काल में जैन धर्म में ऋपभ आदि चौबीस तीर्थंकर हुए हैं। उनके नामकरण के पीछे भी कोई न कोई हेतु रहा है। आवश्यक नियुक्ति, आवश्यक चूणि और आवश्यक हारिभद्रीया वृत्ति में उसका विस्तृत उल्लेख मिलता है । नियुक्तिकार, चूर्णिकार और वृत्तिकार तीनों ने नामकरण का इतिहास बताते हुए नाम का व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ भी प्रस्तुत किया है । प्रस्तुत निबन्ध में तीर्थंकरों के नामकरण का इतिहास तथा उनके नाम का व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ, आवश्यक चूणि तथा आवश्यक हारिभद्रीया टीका के आधार पर प्रस्तुत किया जा रहा है । (१) ऋषभ-भगवान् ऋषभ का दूसरा नाम वृषभ था। ऋषभ और वृषभ दोनों एकार्थक हैं।' वृषभ नामकरण के दो हेतु हैं- (१) उनके दोनों उरु पर वृषभ का चिह्न था अत: उनका नाम वृषभ रखा गया । (२) सभी तीर्थंकरों की माताएं चौदह महास्वप्न देखती हैं। उन स्वप्नों में वह पहला स्वप्न 'गज' का देखती है। भगवान् ऋषभ की माता मरुदेवा ने पहला स्वप्न 'वृषभ' का देखा था अतः उनका नाम वृषभ रखा गया । जो संयम भार को वहन करता है वह वृषभ है-यह व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ है ।' २. अजित-भगवान् अजित के माता-पिता द्यूत-क्रीड़ा करते थे। उसमें उनके पिता की ही विजय होती थी । जब से भगवान् अजित गर्भ में आए तब से उनकी माता द्यूत-क्रीड़ा में विजित होने लगी। अतः उसने अपने पुत्र का नाम अजित रखा। जो परीषहों और उपसर्गों के द्वारा जीता नहीं जाता वह अजित है-यह व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है। ३. संभव-जब भगवान् संभव गर्भ में आये तब अधिक धान्य उत्पन्न हुआ अतः उनका नाम संभव रखा गया। जिसके चौंतीस अतिशय उत्पन्न होते हैं वह संभव हैयह व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है।' ४. अभिनन्दन-भगवान् अभिनन्दन जब गर्भ में आये तब से इन्द्र उन्हें बार-बार वन्दन करने लगा अतः उनका नाम अभिनन्दन रखा गया। जो देवेन्द्र आदि के द्वारा अभिनन्दित होता है वह अभिनंदन है-यह व्युत्पत्तलभ्य अर्थ है।' ५. सुमति-भगवान् सुमति जब गर्भ में आये तब उनकी माता में निर्णायक बुद्धि खण्ड १७, अंक ४ (जनवरी-मार्च, ६२) २१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524569
Book TitleTulsi Prajna 1992 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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