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५६. चार भूमियां
चार गतियां ६०. त्रिरत्न
त्रिरत्न ६१ चतुश्शरण
त्रिशरण जैन और बौद्ध विनयों की यह एक सामान्य तुलना की छोटी-सी तालिका है। प्रत्येक शीर्षक को स्पष्ट करने के लिए यहां मात्र इतना ही कथ्य है कि जैन और बौद्ध विनय एक ही संस्कृति से संबद्ध होने के कारण एक दूसरे से अधिक दूर नहीं है। उनमें आचार-विचार गत पर्याप्त समानताएं हैं। यह समानत। स्थविरवादी विनय में अधिक दृष्टव्य है । तान्त्रिकता के अंश को छोड़ दिया जाए तो महायानी परम्परा में भी वह रूप देखा जा सकता है।
संदर्भ ग्रन्य-सूची १. Jainism in Buddhist Literature/Dr. Bhagchandra Jain, Nagpur
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विद्यापीठ, १९७७
खण्ड १७, अंक ३ (अक्टूबर-दिसम्बर, ११)
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