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________________ अतिशीघ्र प्रकाशित हो रहा है। Pakeemmaemaekenapana एक बंद : एक सागर B88888888888888888040 (आचार्यश्री तुलसी की सूक्तियों का दुर्लभ संग्रह) तेरापंथ के वर्तमान आचार्य, अणुव्रत-अनुशास्ता, युगप्रधान, आगम वाचना प्रमुख और आधुनिक परिवेश में स्वस्थ परंपराओं के सर्जक, No संवाहक, क्रान्तदर्शी आचार्य श्री तुलसी मानवीय मूल्यों के प्रतिष्ठापक और दुनिग्रह सांसारिक द्वन्द्वों के तटस्थ और निलिप्त द्रष्टा हैं। वे कवि, मनीषी, परिभू-स्वयंभू, साहित्यकार और प्रखर वक्ता हैं। किसी भी विषय पर Ma उनके द्वारा की गई टिप्पणियां और प्रतिध्वनियां सदैव सार्थक, साभिप्राय E और सर्वजनहिताय होती हैं। अपनी विलक्षण, विचक्षण और विस्मयजनक Y सूक्तियों के लिए आचार्यश्री को अनेकों बार साधुवाद मिला है। अपने षष्टिवर्षीय चिंतन-मनन से उन्होंने अनेकों अनुभव-जन्य सूत्र गि संसिद्ध किए हैं जो त्रस्त, पीड़ित और दुःस्थ मानवों को सामयिक मार्गदर्शन * दे सकते हैं। समणी कुसुमप्रज्ञा ने इन सूत्रों को आचार्यश्री की रचनाओं A और प्रवचनों से संग्रह किया है और अब वे पांच खण्डों में प्रकाशित हो । एक बूंद : एक सागर' नाम से प्रकाशित होने वाली यह श्रुतसन्निधि समान रूप से सभी प्रकार के पाठकों के लिए 'कठौती में गंगा वत्' संताप-नाशक औषधि है। लगभग २०० पुस्तकों और हजारों पत्रV पत्रिकाओं से संकलित यह सूक्ति-संग्रह हर व्यक्ति के लिए पठनीय, मननीय 2 और संग्रहणीय है। प्रकाशक जैन विश्व भारती, लाडनूं-३४१३०६ ८२ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524567
Book TitleTulsi Prajna 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size5 MB
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