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४. चैत्यवंदन व्याख्या; पृ० १८+४८, सन् १९७७, मूल्य रु० १.२५ । ५. आनन्दघन जी के पदों पर एक दृष्टि; पृ० ३८, सन् १९७८, मूल्य रु० १.२५
इन पाँच पुस्तकों के लेखक श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल हैं। श्री धाड़ीवाल जैन समाज के जाने-माने प्रसिद्ध विद्वान् हैं, उनके चिन्तन की झलक उक्त पुस्तकों में मिलती है। विद्यार्थी बोध
लेखक-वैद्य कपूरचन्द विद्यार्थी प्रकाशक-श्री भागचन्द इटोरया सार्वजनिक न्यास, दमोह (म० प्र०) पृष्ठ-२० + ४४, मूल्य-भेंट, प्रथमावृत्ति, सन् १९७८
समीक्ष्य पुस्तिका के लेखक धार्मिक एवं सेवाभावी स्वभाव के एक सुधारवादी श्रावक हैं। प्रस्तुत पुस्तिका में राष्ट्रबोध, स्वास्थ्यबोध और अध्यात्मबोध नामक तीन अध्याय हैं, जिनका विषय शीर्षकानुरूप है । इनमें सरल एवं सुबोध शैली में लिखे गये नीति विषयक ३३३ पद्य हैं । कुछ पद्य तो रहीम, कबीर एवं पं० गोविन्ददास जी द्वारा अनुवादित हिन्दी कुरल काव्य के नीतिप्रद दोहों की याद दिलाते हैं। उदाहरणार्थ राष्ट्रप्रेम अध्याय में दिये गये निम्न पद्य द्रष्टव्य हैं।
कर न सके सद्भाव से जो अनोति प्रतिकार । उसे नहीं जनतंत्र में जीने का अधिकार ।। १/२!! श्रम जीवन है राष्ट्र का नैतिक बल है प्राण ।
अनुशासन प्रति सजगता स्व-पर सृजन कल्याण ।।१/१३।। वस्तुतः राष्ट्रप्रेम, स्वस्थ जीवन और आध्यात्मिक साधना--..ये तीन मानव मात्र के मौलिक लक्ष्य हैं, जिनके द्वारा मानव जीवन सार्थक बनाया जा सकता है। इस पुस्तिका में इसी लक्ष्य की संपूर्ति की गई है। इसके चुने हुए पद्य सार्वजनिक स्थानों पर लिखे जाने तथा स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों में सम्मिलित किये जाने योग्य हैं। पुस्तिका लघु होते हुए भी "गागर में सागर" की तरह जीवनोपयोगी नीतियों को प्रस्तुत करने में लेखक पूर्ण सफल हैं । रात्रिभोजन त्याग विषयक कुछ स्वतंत्र एवं प्रभावशाली पद्यों का समावेश इसमें किया जाना जरूरी था। इसके कुछ पद्य रेडियो सीलोन (श्री लंका) से प्रसारित किये जा चुके हैं इससे भी इस पुस्तिका की महत्ता स्वयंसिद्ध है।
प्रस्तुत पुस्तिका का प्रकाशन स्व० श्री भागचन्द जी इटोरया की स्मृति में स्थापित न्यास की ओर से हुआ है। स्व० श्री इटोरया जी क्रान्तिकारी एवं सुधारवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। आशा है, इस पुस्तिका का सर्वत्र स्वागत होगा।
डा० फूलचन्द जैन
प्राध्यापक जैन विश्व भारती, लाडनूं
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तुलसी प्रज्ञा