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बिओट के इस विचार का कि भारतीयों ने नक्षत्र पद्धति चीन से सीखी है, श्री सज्जन सिंह लिश्क व श्री शक्तिधर शर्मा ने अपने लेख 'हिन्दू नक्षत्र, (Hindu Nakshatras) में कई प्रमाण देकर खंडन किया है व यह सिद्ध किया है। कि भारतीय नक्षत्र प्रणाली प्राचीन व मौलिक है। उस पर चीन या अन्य किसी देश का प्रभाव नहीं है । 10
जहाँ तक अरब वालों का प्रश्न है वे तो स्वयं मानते हैं कि उन्होंने नक्षत्रों का ज्ञान भारतीय सिद्धान्तों से प्राप्त किया है। साथ ही साथ वे यह भी मानते हैं कि भारतीय 1500 B. C. से पहले ही नक्षत्रों के बारे में जानते थे व नक्षत्रों के आधार पर ( मघा, फाल्गुनी, चित्रा आदि) माह सिर्फ भारत में ही थे न कि ग्रीस, रोम, चीन या अरब में । 17
यहां यह बात भी लिखनी अप्रासंगिक नहीं होगी कि अभी जो देश जैसे इग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, रूस व अमेरिका, जो कि विज्ञान, तकनीकी व उद्योगों में सबसे अग्रणी हैं, जो 1400 वर्ष तक टालमी की पुस्तक अल्मागेस्ट (Almagest) को ज्योतिषीय बाइबल मानते रहे, दशमलव पद्धति व ० (शून्य) से अनभिज्ञ थे जब तक कि अरब वासियों ने, जो कि भारत से सीख कर गये थे, उन्हें इनका ज्ञान नहीं दिया । 18
इस प्रकार यह कहना भी उचित नहीं है कि ज्योतिष की उत्पत्ति चीन या अरब आदि देशों में हुई है ।
(3) कई विद्वान् यह मानते हैं कि ज्योतिष की उत्पत्ति भारत में हुई है । जब हम इस तथ्य पर गहराई से अध्ययन कर विचार करते हैं तो ज्ञात होता है - क कुछ विद्वान् इस तथ्य को गलत मानते हैं व कुछ सही ।
जो विद्वान् इस तथ्य को गलत मानते हैं उनमें बेबर, हिटने थीबों आदि मुख्य हैं। उनका कहना है कि भारतीयों ने ज्योतिष का ज्ञान ग्रीस, बेबीलोन, चीन व मिश्र आदि देशों से प्राप्त किया है ।
जब हम इन विद्वानों के इस तर्क पर विचार करते हैं तो निम्न बातें नजर अन्दाज नहीं की जा सकती हैं।
(i) संस्कृत साहित्य, जो प्राचीन भारत में था, वह बहुत हद तक नष्ट कर दिया गया था जिससे वह मिल नहीं पाया । जैसाकि स्वयं टालमी ने अलमोस्ट
16. Raman, B.V., Astrological Magazine, August 1975 p.p. 619-622 17. Kane, P.V., (1958) op.cit. p. 480.
18 Kane, P.V., (1958) op. cit. p. 482
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तुलसी प्रज्ञा
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