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मानव-स्वभाव के कारण ही मनुष्य ने अपनी जिज्ञासा की पूर्ति हेतु कई आविष्कार किये, नई-नई खोजें की, नये-नये विषयों को जन्म दिया और ज्योतिष शास्त्र भी उनमें से एक है।
__ ज्योतिष शास्त्र क्या है व इसमें किन किन बातों का अध्ययन किया जाता है ? यह सबसे पहले जानना आवश्यक है। इसलिए इस विषय के सम्बन्ध में भिन्नभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं नीचे दी जा रही हैं जिनकी सहायता से इस शास्त्र की विषय वस्तु को भली प्रकार समझा जा सकता है। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र की कई विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से कई परिभाषाएं दी हैं पर उन सब में से जो अधिक महत्वपूर्ण एवं अधिक स्पष्ट हैं वे नीचे दी जा रही हैं :
(1) "ज्योतिषां सूर्यादिग्रहाणां बोधकम् शास्त्रम्" अर्थात् सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है ?1
(2) कुछ मनीषियों का अभिमत है कि "नभोमंडल में स्थित ज्योति सम्बन्धी विविध विषयक विद्या को ज्योतिर्विद्या कहते हैं। जिस शास्त्र में इस विद्या का सांगोपांग वर्णन रहता है, वह ज्योतिष शास्त्र है।"
(3) “आदिकाल में नक्षत्रों के शुभाशुभ फलानुसार कार्यों का विवेचन तथा ऋतु, अयन, दिनमान, लग्न आदि के शुभाशुभानुसार विधायक कार्यों को करने का ज्ञान प्राप्त करना भी इस शास्त्र की परिभाषा में परिगणित हो गया।"3
(4) Astrology may also be defined as "the philosophy of discovering and analysing Past impulses and future actions of both individuals and nations” in the light of planetary configuratio ns.
(5) It is a science of the sciences, the key to all knowledge *** Astrology can be defined as the science of correlation of astronomical facts with terrestrial events
(6) "For Dante astrology was the noblest of the sciences'' writes H. Flanders Dunbar."
1. शास्त्री, नेमीचन्द्र ; भारतीय ज्योतिष, 1973 संस्करण पृ. 3 2. Ibid. p. 3 3. Ibid. p. 4 4. Raman, B.V. Astrology and Modern Thought. 5. Ibid, p. 37 6. Ibid p. 41
1972 p. 37
खं. ३ अं. २-३
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