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इनका बहुत महत्व है। (६) स्फुट
कारवणित कृतियों के अतिरिक्त समय समय पर स्फुट रचनाएं भी काफी मात्रा में होती रही हैं, उनमें विविध सामग्री है, मैंने उन्हें स्फुट वर्ग के अन्तर्गत संकलित किया है
(१) शासन-दृढ़ावणी-इसमें संघ के विधि-विधानों पर प्रकाश डालते हुए दृढ़ता से उन्हें आचरण करने की प्रेरणा दी गई है। इसकी १ ढाळ में २२ पद्य हैं।
(२) तप-विदारुवलि-इसमें संवत १९६६ बीदासर तथा १६६७ लाडनू चातुर्मास काल में होने वाली तपस्याओं का
पूरा लेखा जोखा है । इसकी २ ढालों में २६ पद्य हैं।
(३) पावस विवरण- इसमें सं. २०१५ कानपुर तथा २०१७ राजसमंद के पावस-प्रवास में होने वाले विभिन्न कार्यों का संक्षिप्त विवरण है । इसकी २ ढाळों में ३२ पद्य हैं ।
यह है संक्षेप में आचार्य श्री तुलसी की राजस्थानी कृतियों का विवरण । भाव, भाषा, रस और अलंकार, स्वर और रागिनी आदि विभिन्न दृष्टियों से समृद्ध यह साहित्य राजस्थानी भाषा के इतिहास में एक नई शृखला जोड़ेगा ऐसा दृढ़ विश्वास है।
संदर्भ १ श्रद्धेय के प्रति-पृष्ठ ११७, २ कालू यशोविलास उल्लास ढाल-१ १, २ ३, ५, ८ ३ कालू यशोविलास उल्लास-३ ढाल १७, २५, २७ ४ कालू यशोविलास ५ कालूयशोविलास उल्लास २ ढाळ ५/४-८
" " ४ ढाल १४ गाथा २-५ ७ डालिम चरित्र-खण्ड १ ढाळ १३ गाथा १४-१६ ८ डालिम चरित्र खण्ड १ ढाल १३ गाथा १८-२० ६ " " " २ " १ गाथा २६-३३ १० माणक महिमा, ढाल १ गाथा ८-१३ ११ मगन चरित्र प्रथम युग १२ मगन चरित्र प्रथम युग १३ मगन चरित्र प्रथम युग १४ मगन चरित्र प्रथम युग १५ मगन चरित्र प्रथम युग १६ मगन चरित्र प्रथम युग
तुलसी प्रज्ञा-३
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