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________________ आप सब हैं । यह छठा अधिवेशन उद्घाटन से लेकर आज इस समापन वेला तक कुल ७ बैठकों में सम्पन्न हुआ है। इन बैठकों में अन्य प्रवचनों के अतिरिक्त कुल तीस से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। सभी पर उच्च स्तरीय चर्चा हुई। यही तो परिषद की सार्थकता रही है। बहुत ही मुक्त मन व ग्राह्य बुद्धि से मूलन: महावीर के जीवन व दर्शन कुछ अन्य विषयों पर विमर्श हुआ। अभी भी बहुत कुछ शेष है, जो अशेष है. अज्ञात है, अनुद्घाटिन है । सन्तोष की बात है कि नई प्रतिभाओं ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया है। यह भी परिषद की विशेषता रही कि जैन विद्या व विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन की ओर रुचि जगाने में सफलता मिली है। प्रस्तुत पत्रों से लगता है कि इस दिशा में हो रहे प्रयास जैन दार्शनिक तत्वों को भौतिक विज्ञान की कसौटी पर परखने में सफल होंगे। मैं सभी विद्वान मित्रों को अपनी ओर से हार्दिक आभार ज्ञापित करता हूं। विश्वास करता हूं कि आपका सहयोग निरन्तर प्राप्त होता रहेगा। ____ डा. के. सी. जन, डा. श्रीकृष्ण दत्त वाजपेयी, डा. एस. बन्द्योपाध्याय, डा. बी. के. खड़बड़ी व डा. जी. सी. पाटनी की कुशल अध्यक्षताओं व डा. प्रेमसुमन जैन, डा. भागचन्द्र जैन, डा. कस्तुर चन्द कासलीवाल, डा. वी. के. नय्यर- उनके सफल संयोजन कार्य के द्वारा परिषद का संचालन किया। मैं उनके प्रति अपनी ओर से बहुत आभारी हूं। डा. श्रीकृष्णदत्त वाजपेयी व श्री अगरचन्द नाहटा ने अपने अमूल्य सुझाव देकर चर्चाओं को दिशा दी है। श्री प्रवीण चन्दजी जन व डा. कस्तूर चन्द ललवानी को भी मैं धन्यवाद देता हूं जिन्होंने दो समुच्चय भाषण देकर परिषद को लाभान्वित किया । विश्व भारती के शोध विभाग द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिका 'तुलसी प्रज्ञा' सभी मित्रों की है । अत: यह अपेक्षा करता हूं कि सभी विद्वान इसकी स्वयं सदस्यता ग्रहण करें व विभिन्न पुस्तकालयों में इसे मंगाने का आग्रह करें। मैं पुन: आप सभी को जन विश्वभारती की ओर से उसके शोधविभाग के निदेशक के रूप में अपनी ओर से आप सभी का कोटि कोटि धन्यवाद करता हूं, अनुग्रह स्वीकार करता हूं। आचार्य श्री, मुनि वृन्द को वन्दना व आप सब को अभिवादन प्रस्तुत करता हूं। धन्यवाद । डा. महावीर राज गेलड़ा निदेशक, जैन विद्या परिषद १०४ तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524503
Book TitleTulsi Prajna 1975 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Gelada
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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