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________________ एक मार्मिक अपील २१-२२ अक्टूबर २००९ को पूज्य मुनिश्री समतासागर जी महाराज तथा एलक श्री निश्चयसागर जी के दर्शन तथा चातुर्मास निष्ठापन के निमित्त से पहली बार सदलगा जाना हुआ। सदलगा कर्नाटक प्रदेश के बेलगाँव जिले का वह पुण्य क्षेत्र है जहाँ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी की जन्मभूमि है और वहाँ से केवल दस कि.मी. दूर पर भोजग्राम स्थित है, जिसे इस युग के प्रथम दिगम्बर जैन आचार्य चारित्रचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्य शान्तिसागर जी महाराज की जन्म स्थली होने का सौभाग्य प्राप्त है । यहाँ से २० कि.मी. दूर कोथली ग्राम है, जो आचार्य देश-भूषण जी महाराज की और वहीं से १० कि.मी. दूर शेडवाल ग्राम है, जो आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज की जन्मभूमि है। पूज्य समतासागर जी से अनुमति लेकर में इन धर्मतीर्थों के दर्शन करने गया । युग के प्रथम आचार्य की जन्मभूमि के दर्शनों के लिये बड़े दिनों से सपने संजोकर रखे थे, किन्तु उस पुण्य क्षेत्र की दशा को देख कर एक बड़ा धक्का लगा। सारे सपने चूर-चूर हो गये । वर्तमान में वहाँ प्रथमाचार्य की गृहस्थावस्था के पौत्र (भतीजे के पुत्र) और उनका परिवार निवास कर रहा है। उनकी प्रपौत्री ने बताया कि सामान्य दिनों में प्रतिदिन दस-पन्द्रह तीर्थयात्री और विशिष्ट अवसरों पर ५०-६० दर्शनार्थी प्रतिदिन उनके घर आते हैं। उनके आभिजात्य संस्कारी वंशज सभी दर्शनार्थियों की मिष्टान्न, दूध, पानी आदि से यथोचित आवभगत करते हैं। उनके मुस्कराते चेहरे के पीछे छिपी विवशता और विपन्नता किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की नजरों से छिपती नहीं है। उस घर की अवस्था और गृहस्वामी की वृद्धावस्था - जन्य निष्क्रियता देख कर मेरा मन भर आया । आचार्य देशभूषण जी महाराज की जन्मस्थली कोथली का भी कमोवेश यही चिन्तनीय हाल है। देश-विदेश में लगभग २ करोड़ जैन है और लगभग १ हजार जैन साधु होंगे, जो सभी आचार्य शान्तिसागर जी के पुरुषार्थ के कारण ही आज जैन या जैन साधु होने पर गर्व कर रहे हैं, किन्तु अपने आदि गुरु के वंशजों और उस पुण्यभूमि, जहाँ पर उनका जन्म हुआ। Jain Education International रमेशचन्द्र मनयां राष्ट्रीय अध्यक्ष दि. जैन. विचार मंच, भोपाल उसकी सुध किसने ली है और अभी तक क्या किया? देश के अन्य महापुरुषों, जैसे महात्मा गाँधी, पं० नेहरू, इन्दिरा गाँधी इनसे सम्बन्धित स्मारकों को देखिए उनकी सुव्यवस्था को देखें । जैन समाज की सम्पन्नता, संवेदनशीलता, बौद्धिकता और उद्योग व्यापार, अखिल भारतीय सेवाओं, न्यायिक सेवाओं को देखते हुए चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर के पैतृक घर की उपर्युक्त व्यवस्था का सामंजस्य किस दशा में बैठता है, यह देश विदेश के प्रत्येक जैन साधु और जैन व्यक्ति के लिये चिन्तनीय और विचारणीय है। देश की अखिल भारतीय दिगम्बर जैन संस्थाओं, महासभा, महासमिति, दिगम्बर जैन परिषद्, दक्षिण प्रान्तीय जैन समिति, बड़े उद्योगपति, बिल्डर तथा कॉन्स्ट्रक्शन कम्पनी आदि से मेरी मार्मिक अपील है तथा देश के सभी आचार्यों मुनि महाराजों से नमोऽस्तुपूर्वक निवेदन है कि वे अपने प्रभाव का उपयोग करके इंगित मात्र कर देंगे, तो आचार्य शान्तिसागर, आचार्य देशभूषण जी तथा विद्यानन्द जी महाराज की जन्मस्थली संबंधी यह कार्य अधिक से अधिक एक महीने में पूरा हो सकता है। सदलगा में विराजे पूज्य मुनि श्री समतासागर जी, निश्चयसागर जी ने भी आशीर्वाद देकर और अशोक नगर में हाल ही में सम्पन्न अ.भा. विद्वत्संगोष्ठी में एक स्वर से सभी विद्वानों ने मेरी बात का समर्थन किया तथा अपनी-अपनी पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से मेरी इस अपील को देश भर में प्रचारित करने का विश्वास दिलाया। जैन समाज के अखिल भारतीय पदाधिकारियों का एक प्रतिनिध मण्डल भारत सरकार एवं कर्नाटक सरकार से मिलकर बेलगाँव जिले के ५०कि.मी. के क्षेत्रफल में आनेवाली इन तीन पुण्यभूमियों : भोजग्राम, कोथली और शेडवाल को धार्मिक नगरी या धार्मिक क्षेत्र (जैसे अमृतसर, उज्जैन, मन्दसौर) घोषित करने के लिये लगातार और ईमानदार प्रयास करें तो उचित होगा । के मैं अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य, क्षमता और क्रियाशीलता साथ इस कार्य में यथायोग्य सहयोग देने के लिये कृतसंकल्प हूँ। मुझे विश्वास है कि इस सम्बन्ध में मुझे सभी आचार्यों, मुनियों के आशीर्वाद प्राप्त होंगे। दिसम्बर 2009 जिनभाषित 23 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524346
Book TitleJinabhashita 2009 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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